प्रदेश के मदरसों में संस्कृत की शिक्षा को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा
मदरसा बोर्ड का मानना है- बच्चों को केवल धार्मिक शिक्षा तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए
उत्तराखंड में अब मदरसों में भी संस्कृत पढ़ाई जाएगी। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए यह निर्णय लिया है कि प्रदेश के मदरसों में संस्कृत की शिक्षा को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा। यह पहल बच्चों के कौशल विकास के लिए की गई है, ताकि उन्हें एक समृद्ध और विधतापूर्ण शैक्षिक अनुभव मिल सके। संस्कृत को अनिवार्य नहीं किया गया है, बल्कि यह एक वैकल्पिक विषय के रूप में उपलब्ध होगा। यानी जो बच्चे इस विषय को पढ़ना चाहेंगे, वही इसे चुनेंगे। इससे छात्रों को अपनी रुचि और भविष्य के लक्ष्यों के अनुसार विषयों का चयन करने की स्वतंत्रता मिलेगी।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के चेयरमैन मुफ्ती शमून कासमी ने इस निर्णय की पुष्टि करते हुए बताया कि “संस्कृत को मदरसा पाठ्यक्रम में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य बच्चों के शैक्षिक और कौशल विकास को बढ़ावा देना है। संस्कृत एक महत्वपूर्ण और प्राचीन भाषा है और इसके अध्ययन से बच्चों के ज्ञान में विविधता आएगी। इसके माध्यम से बच्चे न केवल अपनी भाषा कौशल में सुधार करेंगे बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में भी गहराई से पाएंगे।”
मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि “जब से मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है। 95 प्रतिशत बच्चे इसमें सफल हुए हैं। इस सफलता के बाद अब मदरसा बोर्ड ने और भी सुधारात्मक कदम उठाने का निर्णय लिया है, जिसमें संस्कृत को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना शामिल है। मदरसा बोर्ड का मानना है कि बच्चों को केवल धार्मिक शिक्षा तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें विभिन्न विषयों में ज्ञान प्राप्त करने के अवसर मिलने चाहिए ताकि वे समाज में बेहतर योगदान दे सकें। संस्कृत को पाठ्यक्रम में शामिल करने का यह निर्णय इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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