राज्यसभा और लोकसभा से वक्फ संशोधन बिल पारित होने के बावजूद विपक्ष इसका लगातार विरोध कर रहा है। शुक्रवार को इस बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो याचिका लगाई गई। बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआइएमआइएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने याचिका दायर की है। 12-12 घंटे की चर्चा के बाद यह बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हुआ था जिसे अब राष्ट्रपति को भेजा जाएगा और उनकी सहमति के बाद इसे कानून बना दिया जाएगा।
वक्फ बिल से गरीब मुसलमानों को होगा फायदा- पीएम
गुरुवार को राज्यसभा से बिल पास होने के बाद कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा था कि कांग्रेस अब सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी। तमिलनाडु की डीएमके ने भी याचिका लगाने की बात कही थी। वही बिल पारित होने के बाद प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को सुबह एक्स पर लिखा कि यह कानून ट्रांसपेरेंसी बढ़ाएगा और गरीब पसमांदा मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करेगा। वक्फ संपत्तियों में सालों से गड़बड़ी हो रही थी जिससे खासतौर पर मुस्लिम महिलाओं और गरीबों को नुकसान हुआ था। इस नए कानून से यह समस्या दूर हो जाएगी।
ओम बिरला न सोनिया गांधी को दी नसीहत
शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इसके साथ ही 31 जनवरी से शुरू हुए बजट सत्र का पहला और दूसरा सेशन भी समाप्त हो गया। स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि इस सत्र में वक्फ बिल समेत 16 विधेयक पास किए गए और सदन की प्रोडक्टिविटी 118% रही। उन्होंने वक्फ बिल को लेकर सोनिया गांधी को नसीहत दी इस पर विपक्षी सांसदों ने बिड़ला के खिलाफ नारेबाजी भी की। सोनिया ने बिल के पास होते वक्त संसदीय प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे।
जेडीयू के मुस्लिम नेताओं ने छोड़ी पार्टी
भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने वक्फ बिल संशोधन का समर्थन किया है लेकिन इससे उनके कई नेता नाराज हो गए हैं। सात मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है जिसमें अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक, प्रदेश महासचिव मोहम्मद तबरेज सिद्दीकी अलीग, भोजपुरी से पार्टी सदस्य मोहम्मद दिलशान राइन और मोतिहारी के ढाका विधानसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी मोहम्मद कासिम अंसारी शामिल है।
इस वजह से हो रहा विरोध
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन बिल की कुछ बातों से विपक्ष और मुस्लिम समुदाय को परेशानी हो रही है। संशोधन में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे। इसपर मुस्लिम समुदाय का कहना है कि इससे वक्फ की धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रभाव पड़ेगा। प्रस्ताव में वक्फ बोर्ड में महिला सदस्यों की नियुक्ति का भी प्रावधान है जिससे कुछ समूह कह रहे हैं कि इससे वक्फ का परंपरागत ढांचा बदल जाएगा। बिल में यह प्रस्ताव भी रखा गया है कि वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन जिला मजिस्ट्रेट के ऑफिस में किया जाएगा। इस बात का विरोध यह कह कर किया जा रहा है कि इससे सरकार का नियंत्रण बढ़ेगा और वक्फ बोर्ड का संपत्तियों में दखल कम होगा। संपत्ति के दावे को लेकर भी प्रस्ताव रखा गया है कि जब तक कोई संपत्ति दान में ना मिली हो तब तक वक्फ बोर्ड उस पर दावा नहीं कर पाएगा। इस बात का विरोध यहां कहकर किया जा रहा है कि यह बदलाव वक्फ संपत्तियों के दावे को सीमित कर देगा।