शिक्षक वो ज्योति है, जो विद्यार्थी के मन में बसे हर अंधकार को अपने प्रकाश से दूर कर देता है। भारतीय ग्रंथों में शिक्षक को ब्रह्मा, विष्णु और महेश कहा गया है। क्योंकि वह ब्रह्मा की तरह बच्चें में अच्छे संस्कारों की रचना करता है, विष्णु की तरह उसे सही मार्ग दिखाता है और शिव बनकर उसके सभी अवगुणों का नाश करता है। प्राचीन समय की गुरुकुल परम्परा से लेकर आज की स्कूल की पढ़ाई के नियम और पाठ्यक्रम जरूर बदले हैं लेकिन हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व आज भी वही है जो पहले था।
विद्यार्थी की कमजोरी को ताकत बना सकता है शिक्षक
एक शिक्षक का हमारे जीवन में क्या महत्व होता है, यह हम हेलेन केलर के उदाहरण से समझ सकते हैं। हेलेन एक प्रख्यात लेखिका कभी नहीं बन पाती अगर उनकी शिक्षिका एनी सुलेवन उनके जीवन में नहीं आती। उन्होंने अपनी मेहनत और प्रेम से एक दृष्टिहीन और बधिर बच्ची को अपनी नजरों से दुनिया दिखाई। उसे वस्तुओं को महसूस करना सिखाया। उन्होंने कभी नहीं सोचा कि देख और सुन ना पाना हेलेन की कमजोरी है बल्कि उन्होंने उसकी महसूस करने की क्षमता को पहचाना और उसी पर काम करके हेलेन को आगे बढ़ाया। इसी तरह हर शिक्षक अपने विद्यार्थियों के छुपे हुए गुणों को पहचानकर उसे और निखारते हैं और उन्हें आगे बढ़ने में सहायता करते हैं।
गुरु की सजा में भी छुपी होती है शिक्षा
अक्सर अपने विद्यार्थियों के अवगुणों को दूर करने या उनके बुरे कार्यों को सुधारने के लिए शिक्षक को उन्हें दंड देना पड़ता है। उस समय भले ही शिष्य को वह बुरा लगे लेकिन आगे चलकर वह दंड उसके लिए लाभदायक ही साबित होता है। रामायण में समुद्र पर सेतु का निर्माण करने वाले वानर नल-नील को उनके गुरु ने बार-बार उनकी पूजा भंग करने के लिए श्राप दिया था कि वह कोई भी पत्थर पानी में फेकेंगे तो वह डूबेगा नहीं। उनका यही श्राप आगे चलकर वरदान साबित हुआ। यह होती है गुरु की महिमा। गुरु के मुंह से निकला कोई भी शब्द व्यर्थ नहीं होता है। जीवन में कभी न कभी हमें उससे लाभ जरूर मिलता है।
शिष्य की सफलता में छुपी होती है शिक्षक की खुशी
आज के समय में जब हर कोई अपने साथ वालों से आगे निकलना चाहता है तब सिर्फ एक शिक्षक ही है जो अपने ज्ञान का उपयोग अपने लिए ना करते हुए अपने शिष्यों को आगे बढ़ाने के लिए करता है। शिक्षक वह दीपक है जो स्वयं जलकर अपने विद्यार्थियों के जीवन में उजाला लाता है। गुरु का सिर्फ एक लक्ष्य होता है कि उनका हर विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता हासिल करें और अपने सपने को पूरा करें। अपने विद्यार्थी के साथ शिक्षक भी उसके सपने को जीता है, उसके लिए मेहनत करता है लेकिन कभी भी शिष्य की सफलता पर अपना हक़ नहीं जमाता। शिक्षक का यही व्यवहार दर्शाता है कि उसका त्याग सबसे बड़ा और प्रेम निस्वार्थ होता है।
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