निवेश और बिजनेस में बढ़ रही महिलाओं की रूचि, बैंक में जमा कुल राशि में 39.7% हिस्सेदारी महिलाओं के पास

सकारात्मक खबर यह है कि अब हमारे देश की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। अब देश के कुल बैंक खातों में 39.2% महिलाओं के हैं। यही नहीं, बैंक खातों में जमा कुल रकम में भी 39.7% हिस्सेदारी महिलाओं की है। गांवों में 42% महिलाएं खाताधारक हैं।

सांख्यिकी मंत्रालय की रिपोर्ट से सामने आई स्त्री विकास की कहानी

सांख्यिकी मंत्रालय ने रविवार को रिपोर्ट जारी की जिसमें ये आंकड़े बताए गए। शेयर बाजार में भी महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है। 31 मार्च 2021 से 30 नवंबर 2024 के बीच डीमैट खातों की संख्या 3.32 करोड़ से बढ़कर 14.3 करोड़ हो गईं। यह 4 गुना से अधिक की बढ़ोतरी है। 2021 के दौरान डीमेट अकाउंट में महिलाओं की संख्या 66.7 लाख थी, जो 2024 में बढ़कर 2.77 करोड़ हो गई।

स्टार्टअप में रूचि ले रही महिलाएं

महिला-स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों में वृद्धि होने से वर्ष 2021-22 में महिला स्वामित्व वाली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट सिर्फ 54% थी, जो 2023-24 में 58% हो गईं। ट्रेड में यह आंकड़ा 12% से बढ़कर 14% पर पहुंच गया। सरकारी योजनाओं और सामाजिक जागरूकता इसका बड़ा कारण है। महिलाएं रोजगार देने में भी आगे बढ़ रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे स्टार्टअप बढ़े हैं, जिनमें कम से कम एक महिला निदेशक है। ऐसे स्टार्टअप की कुल संख्या 2017 में 1,943 थी, जो 2024 में बढ़कर 17,405 हो गई है।

महिला मतदाता की संख्या भी बढ़ी

महिला मतदाताओं की भागीदारी में भी काफी इजाफा हुआ है। 1952 में कुल मतदाताओं की संख्या 17.32 करोड़ थी, जो 2024 में बढ़कर 97.8 करोड़ हो गई है। महिला मतदाताओं की संख्या और उनकी भागीदारी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2019 में महिला मतदान 67.2% था, जो 2024 में थोड़ा घटकर 65.8% रहा। हालांकि, 2024 में महिला मतदान पुरुषों से अधिक रहा।

निवेश में बढ़ रहा महिलाओं का रुझान

अधिक महिलाओं के डिमेट अकाउंट होना यह संकेत करता है कि महिलाएं निवेश और वित्तीय निर्णयों में भी सक्रिय हो रही हैं। वहीं, 15 साल और उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं का लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 2017-18 में 49.8% था, जो 2023-24 में 60.1% हो गया।

उच्च पद संभाल रही महिलाएं

उच्च पदों पर भी महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2020 में वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी 14.7% थी, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 16.6% पर पहुंच गई। वहीं, इसी दौरान पुरुषों की हिस्सेदारी 85.3% से घटकर 83.3% पर आ गई। हालांकि, भर्तियों में जेंडर गैप अब भी कायम है। रिपोर्ट कहती है कि हर एक महिला की भर्ती पर करीब दो पुरुषों की नियुक्ति की जा रही है।

पंचायत में भी बढ़ रही महिलाओं की संख्या

पंचायतों में सबसे ज्यादा 56% महिलाएं उत्तराखंड में, यूपी में 33% ही हिस्सेदारी है। इसके बाद आंध्र प्रदेश (55.5%), छत्तीसगढ़ (55%), असम (54.7%), केरल (54.5%) और महाराष्ट्र (54.3%) का नंबर है। वहीं, पंचायतों में सबसे कम महिलाएं लद्दाख (31.8%), दादरा नगर हवेली (32%), जम्मू-कश्मीर (33.2%) और यूपी (33.3%) में हैं।

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