आरआर कैट इसरो को एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग आधारित टेक्नोलॉजी प्रदान करेगा
इसरो और आरआर कैट के समझौते से इसरो को एक साल में 25 इंजन बनाने में मदद मिलेगी
इंदौर। इंदौर शहर के नाम अब एक और उपलब्धि जुड़ गई है। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जिस तकनीक से इंसान को चांद पर भेजेगा, वह तकनीक इंदौर की होगी। इसरो ने इंदौर के राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (RRCAT) के साथ करार किया है। इस समझौते के तहत, आरआर कैट इसरो को एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग आधारित टेक्नोलॉजी प्रदान करेगा, जिससे इसरो अपने रॉकेट के इंजन बना पाएगा। बता दें कि इस समझौते से इसरो को एक साल में 25 इंजन बनाने में मदद मिलेगी, जबकि अभी वे एक साल में केवल 3 इंजन बना पाते हैं।
इसरो के डायरेक्टर डॉ वी नारायणन ने बताया है कि इस न्यू जनरेशन लॉन्च व्हीकल- सूर्या की मदद से वे 32 टन के सैटेलाइट और पेलोड को अंतरिक्ष में पहुंचा सकते हैं। इससे वे अपना स्पेस स्टेशन भी बना सकते हैं और अपने रॉकेट को एक से ज्यादा बार इस्तेमाल कर पाएंगे। आरआर कैट के इन्क्यूबेशन सेंटर पाई-हब के प्रमुख डॉ सीपी पॉल ने बताया है कि इस पर आरआर कैट तो काम करेगा ही, साथ ही वे किसी स्टार्टअप को इस प्रोजेक्ट में शामिल करना चाहते हैं।
सीपी पॉल ने बताया है कि इस समझौते से इसरो को अपने रॉकेट के निर्माण में मदद मिलेगी और वे अपने रॉकेट को और भी बेहतर बना पाएंगे। इससे भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में प्रगति होगी और वे नए क्षेत्रों में प्रवेश कर पाएंगे। इस अवसर पर, अटल इन्क्यूबेशन मिशन के डायरेक्टर चिंतन वैष्णव ने कहा कि आज देश में 1 लाख 40 हजार स्टार्टअप हैं, लेकिन इसमें से 1% से भी कम स्टार्टअप हार्डवेयर के क्षेत्र में हैं, जबकि देश की असली तरक्की हार्डवेयर स्टार्टअप से ही होगी।
#RRCATindore