आज महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान, 6 हजार नागा संन्यासी पहुंचे थे संगम तट पर

महामंडलेश्वरों ने रथों पर सवार होकर किया जुलूस का नेतृत्व

हेलिकॉप्टर से संगम पर बरसाए गए 20 क्विंटल फूल

30 से ज्यादा देशों के लोग अमृत स्नान देखने के लिए पहुंचे संगम

प्रयागराज। महाकुंभ का आज 22वां दिन है और आज अंतिम अमृत स्नान भी जारी है। आज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पंचमी तिथि थी, इसीलिए अंतिम अमृत स्नान को बसंत पंचमी का अमृत स्नान भी कहा जा रहा है। आज के दिन नागा साधुओं के अखाड़ों ने सबसे पहले स्नान किया। इसके बाद नागा साधुओं के दल महाकुंभ से अपने अखाड़ों की ओर वापस लौट रहे हैं। नागा साधुओं के साथ ही करोडों की संख्या में आज भक्त भी प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके हैं।

शाही स्नान के दौरान अखाड़े अपने देवताओं की मूर्तियां और प्रतीक चिन्ह लेकर संगम पहुंचे। महामंडलेश्वरों ने रथों पर सवार होकर जुलूस का नेतृत्व किया।दोपहर 12 बजे तक 1.63 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया। 13 जनवरी से अब तक करीब 34.97 करोड़ से ज्यादा लोग डुबकी लगा चुके हैं।

जानकारी के अनुसार, सबसे पहले पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत संगम पहुंचे। फिर सबसे बड़े जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े ने अमृत स्नान किया।साधु-संतों का आशीर्वाद लेने के लिए लाखों श्रद्धालु संगम पर हैं। 30 से ज्यादा देशों के लोग भी अमृत स्नान देखने के लिए संगम पहुंचे हैं। हेलिकॉप्टर से संगम पर 20 क्विंटल फूल बरसाए गए। यह भी जानकारी मिली है कि संगम जाने वाले सभी रास्तों पर 10 किमी तक श्रद्धालुओं का रेला है। प्रयागराज जंक्शन से 8 से 10 किमी पैदल चलकर लोग संगम पहुंच रहे हैं।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि बसंत पंचमी के अवसर पर यह अंतिम शाही स्नान था। इसके बाद हम वाराणसी के लिए प्रस्थान करेंगे। हमें 40 मिनट का समय मिला था। मैं श्रद्धालुओं से आग्रह करता हूं कि वे संगम घाट पर अनावश्यक भीड़ न बढ़ाएं। उन्होंने बताया कि इस शाही स्नान में लगभग 5000 से 6000 नागा संन्यासी संगम तट पर पहुंचे थे। अखाड़ों की वापसी के लिए प्रशासन ने पहले से ही आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर दी हैं।

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