फर्ज़ी डॉक्टर के मामले में पुलिस ने बरती लापरवाही, फरार होने के 24 दिन बाद दर्ज की एफआईआर
दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह जिले के मिशन अस्पताल में हृदय सर्जरी के बाद सात लोगों की असामयिक मौत का मामला सामने आया था। इस घटना के मुख्य आरोपी कथित सर्जन डॉ नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन केम को दमोह पुलिस ने सोमवार 7 अप्रैल 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया। जानकारी के अनुसार, नरेंद्र ने मिशन अस्पताल में 30 एंजियोग्राफी व 20 एंजियोप्लास्टी की थीं।
दमोह के एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया कि आरोपी डॉ नरेंद्र जॉन कैम को प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया है। हमारी टीम ने छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल अब उसे मध्य प्रदेश लाया जा रहा है। इसके बाद अदालत में पेश किया जाएगा।
24 दिन बाद हुई एफआईआर
नरेन्द्र एक जनवरी को अस्पताल से जुड़ा और 12 फरवरी 2025 को बिना सूचना दिए फरार हो गया। जाते-जाते अस्पताल की 5 लाख की ‘एल्यूरा मशीन’ भी ले गया। खुलासे के बाद भी अधिकारी जांच की बात कहते रहे। आरोपी के खिलाफ एफआईआर रविवार रात 1 बजे की गई। क्योंकि सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की 3 सदस्यीय टीम दमोह पहुंचने वाली थी। तब तक आरोपी को फरार हुए 24 दिन बीत चुके थे। इस बीच, आयोग की टीम ने सर्किट हाउस में कलेक्टर, एसपी, सीएमएचओ और दो मृतकों के परिजनों से बयान लिए। इसके बाद अस्पताल के दस्तावेजों की जांच की। आयोग के सामने ज्योति रजक और रहीसा बेगम के परिजनों ने बताया कि बिना उचित जानकारी दिए उनका इलाज किया गया।
स्वास्थ्य मंत्री और सीएम ने लिया मामले पर संज्ञान
स्वास्थ्य राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि इस संस्था पर धर्मांतरण के मामले भी दर्ज हैं, जिनकी भी जांच की जाएगी। इस घटना पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का बयान भी सामने आया। उन्होंने कहा कि दमोह की घटना बेहद गंभीर है। अपराधियों को बख्शेंगे नहीं। अफसरों को निर्देश दिए हैं कि कहीं और भी ऐसे मामले हो तो तुरंत जांच कर सख्त कदम उठाए जाएं।
दो स्तर पर हो रही मामले की जांच
एसपी ने बताया कि इस मामले की जांच दो स्तर पर की जाएगी। सात मौतों की जांच जबलपुर मेडिकल कॉलेज की कार्डियोलॉजी टीम करेगी, जबकि फर्जी डिग्रियों की जांच सीएमएचओ स्तर पर पूरी हो चुकी है। अब मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार है। एसपी ने यह भी बताया कि नरेंद्र न तो नेशनल मेडिकल रजिस्टर में दर्ज है, न ही एमपी और आंध्र प्रदेश की मेडिकल काउंसिल में। उसकी एमबीबीएस डिग्री एक महिला के नाम पर और एमडी व डीएम की डिग्रियां भी फर्जी पाई गई। जांच के लिए बंगाल, पुड्डुचेरी और आंध्र प्रदेश की यूनिवर्सिटीज को पत्र भेजे गए थे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।