दीपावली का पर्व आज देश के साथ ही दुनिया भर में मनाया जा रहा है। इस बार कार्तिक अमावस्या की तिथि दो दिन होने के कारण दीपावली का पर्व 5 दिनों के बजाय 6 दिनों का है। दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर समुद्रः मंथन के दौरान मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। तभी से हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की परंपरा चली आ रही है।
दीपावली पर महालक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर धन और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के साथ भगवान गणेश, कुबेर देवता और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा करने विधान होता है।
दिवाली पूजन की सामग्री
कलावा, रोली, सिंदूर, नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, 5 सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश के लिए आम का पत्ते, चौकी, समिधा, हवन कुंड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने के लिए आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली, कुशा, चंदन पूजा करने के लिए रखें।
दिवाली पूजन की विधि
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन शुरू करने से पहले गणेश-लक्ष्मी के विराजने की जगह को अच्छे-से साफ करें। वहां रंगोली बनाएं और गंगा जल छिड़ककर इस मंत्र का जाप करना चाहिए- ‘ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्यतंरं शुचिः’। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी का ध्यान करें और मूर्तियों को चौकी पर आदर और श्रद्धाभाव के साथ बैठाएं।
विद्वानों का मानना है कि दीपावली पर शाम को समृद्धि देने वाले 4 राजयोग बनेंगे। शश, कुलदीपक, शंख और लक्ष्मी योग बनने से इस महापर्व का शुभ फल और बढ़ जाएगा।