राहुल गांधी के 90 मिनट के भाषण से गरमाई संसद की राजनीति

नेता प्रतिपक्ष राहुल के भाषण पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत 5 मंत्रियों ने आपत्ति दर्ज कराई

राहुल ने अपने संबोधन में अलग-अलग धर्मों का जिक्र कर अहिंसा से भाजपा का मुकाबला करने की बात कही

नई दिल्ली। 1 जुलाई को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विपक्षी दलों के रूप में सरकार पर तीखे हमले किए। उन्होंने अपने भाषण के दौरान भगवान शिव की अभयमुद्रा का जिक्र कर उनकी तस्वीर भी दिखाई। सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं ने इस पर विरोध किया। राहुल के लगभग 90 मिनट चले भाषण के अंशों पर खुद पीएम मोदी को भी जवाब देना पड़ा। राहुल ने अपने संबोधन में अलग-अलग धर्मों का जिक्र कर अहिंसा से भाजपा का मुकाबला करने की बात कही। लोकसभा में विपक्षी दल के नेताओं के विरोध का सामना कर चुके राहुल को अब धर्माचार्यों ने पढ़ने की नसीहत दी है।

इससे पहले राहुल गांधी ने हिंदू धर्म और भगवान शिव की अभयमुद्रा का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान शिव, गुरू नानक, ईसा मसीह, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने पूरी दुनिया को अभयमुद्रा का संकेत दिया। बकौल राहुल गांधी अभयमुद्रा का अर्थ है डरो मत और डराओ मत। अपने भाषण के साथ राहुल ने लोकसभा में भगवान शिव की तस्वीर भी दिखाई। इस पर सत्ता पक्ष की तरफ से घोर आपत्ति दर्ज कराई गई। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी राहुल को तस्वीरें न दिखाने को कहा। हस्तक्षेप और टोका-टोकी से भरे अपने भाषण के दौरान राहुल ने यह भी कहा कि अभयमुद्रा से पूरी दुनिया को साफ संदेश दिया गया है कि डरना और डराना मना है।

राहुल के भाषण के बीच में हस्तक्षेप कर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ये विषय बहुत गंभीर है। पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहा गया है, जो गलत है। इस पर राहुल ने कहा, ‘हिंदू का मतलब केवल भाजपा, आरएसएस और पीएम मोदी नहीं है।’ गृह मंत्री शाह ने भी राहुल से माफी मांगने की मांग की।

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