कुटुंब न्यायालय, जहां वर्षों से बिखरते हुए रिश्ते हुए एक

कुटुंब न्यायालय, इंदौर में 4 खण्डपीठ द्वारा लोक अदालत (14-9-24) में प्रकरणों की सुनवाई की गई

इंदौर। शनिवार को कुटुंब न्यायालय, इंदौर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 4 खण्डपीठ के समक्ष किया गया। सुबह 10:30 बजे प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश संगीता मदान, द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश एस सी श्रीवास्तव, तृतीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश माया विश्वलाल एवं अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश राकेश कुमार जैन द्वारा दीप प्रज्वलन कर लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर कुटुंब न्यायालय इंदौर के समस्त अधिवक्तागण, स्टाफ, सदस्य एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

इस लोक अदालत में एडवोकेट जितेन्द्र सिंह ठाकुर, प्रणय शर्मा, प्रीति मेहना, विजय राठौर, प्रशांत गिलोरे एवं अन्य अधिवक्तागण का विशेष सहयोग रहा। यह जानकारी कुटुंब न्यायालय इंदौर के नाजिर राकेश गुप्ता द्वारा प्रदान की गई।

केस 1 – आपसी सहमती से अलग होना चाह रहे थे, राजीनामा कर वापस साथ गए

इंदौर निवासी महिला और पुरूष का विवाह वर्ष 2019 में हुआ था। दोनों का एक 4 वर्ष का बेटा है। विवाह के कुछ समय बाद दोनों के बीच वाद-विवाद होने लगा, पुत्र के जन्म के पश्चात्‌ भी कोई खास परिवर्तन नहीं आया, वैवाहिक जीवन की दूरी बढ़ती गई। पुत्र के जन्म के कुछ समय पश्चात्‌ पत्नी मायके निवास करने लगी, समझाइश का भी कोई खास असर नहीं हुआ। पत्नी द्वारा 2020 में भरण पोषण, घरेलु हिंसा, दहेज प्रकरण पति के विरुद्ध जिला न्यायालय एवं कुटुंब न्यायालय इंदौर मे दर्ज करवाया गया तथा पति की माता द्वारा बहु के विरुद्ध घरेलु हिंसा केस लगाया गया

2-3 वर्ष तक न्यायालय में प्रकरण चला, न्यायाधीश की समझाइश उपरांत दोनों पक्ष ने प्रकरण समाप्त कर सहमति से विवाह विच्छेद लेना तय किया एवं सहमति से केस 2024 में लगा दिया। परंतु सहमति वाले केस में प्रथम कथन के पश्चात्‌ की तारीख पर दोनों पक्ष को न्यायाधीश द्वारा पुनः समझाया गया तो दोनों को बिछड़ने का एहसास हुआ तथा पुत्र की खातिर दोनों ने एक बार फिर से साथ रहना व्यक्त किया तथा लोक अदालत में केस वापस ले लिया। न्यायालय द्वारा दोनों पक्ष का फूल माला से स्वागत किया गया एवं पौधा भेट किया गया।

केस 2 – विवाह तोड़ने आए थे, पर समझाइस से राजीनामा कर वापस साथ गए

दोनों पक्ष का विवाह 2013 में संपन्न हुआ था। दोनों की 2 सन्तान पुत्र उम्र 7 वर्ष एवं पुत्री 3 वर्ष हैं। वैवाहिक जीवन के समय से ही दोनों पक्ष शासकीय नौकरी में रहे हैं। कार्यस्थल एवं कार्य की समस्या को लेकर दोनों में विवाद होने लगे, पति की शिकायत थी कि पत्नी घरवालों का सम्मान नहीं करती तो वहीं पत्नी की शिकायत थी कि पति साथ नहीं देते, घरवाले ताने मारते है।

वर्ष 2020 में विवाद बड़ने लगे पति ने 2022 में विवाह विच्छेद केस कुटुंब न्यायालय इंदौर मे लगा दिया पत्नी जब उपस्थित हुई तो दोनों पक्ष को समझाया गया, राजीनामा हेतु चर्चा करवाई गई। समझाइश के बाद पत्नी और पति दोनों ने पुरानी बाते भूलकर साथ जाना व्यक्त किया। दोनों पक्ष लोक अदालत में उपस्थित हुए एवं केस समाप्त कर साथ रहने गए। दोनों का फूल माला से स्वागत किया गया एवं 1 पौधा भेट किया गया।

केस नंबर 3 – 5 साल पुराने केस में  तलाक लेने आए थे, अब रहेंगे साथ

दोनों पक्ष का विवाह 2012 में संपन्न हुआ। दोनों की 2 संतान 1 पुत्र एवं 1 पुत्री हैं, विवाह के कुछ वर्ष तक सब ठीक चलता रहा लेकिन कुछ समय पश्चात्‌ दोनों पक्ष में सामंजस्य नहीं हो पाया। दोनों में दैनिक बातों को लेकर विवाद होने लगे। दोनों को परिवार वालों ने भी समझाया पर ज्यादा परिवर्तन नहीं आया।

पति ने पारिवारिक जीवन में विवाद के कारण पत्नी के विरुद्ध विवाह विच्छेद हेतु केस कुटुंब न्यायालय इंदौर मे वर्ष 2019 में लगा दिया। 4-5 वर्षो तक न्यायालय में केस चला, इस बीच में कई बार दोनों पक्ष का राजीनामा हेतु मीटिंग करवाई गई, समझाइश दी गई पर कोई असर नहीं हुआ। वर्ष 2024 में केस के अंतिम दौर में दोनों पक्ष को अपनी गलती का एहसास हुआ और दोनों ने साथ रहना व्यक्त किया। लोक अदालत में दोनों उपस्थित हुए एवं केस समाप्त कर साथ रहने गए, दोनों पक्ष का फूल माला से स्वागत किया गया एवं 1 पौधा भेट किया गया।

कुटुंब न्यायालय, इंदौर में लोक अदालत की 4 खण्डपीठ के समक्ष निराकरण हेतु कुल 460 प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गए थे, जिसमें से सभी को मिलाकर 155 प्रकरण राजीनामा के कारण आज समाप्त हुए एवं इनमें से लगभग 44 प्रकरणों में पति-पत्नी न्यायालय की समझाइश उपरांत साथ-साथ रहने हेतु गए, जिनमें से मुस्लिम जोड़ों की संख्या 8 रही।

 

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