इंदौर। गौरी पुत्र गणेश शुभ मुहूर्त में शहर के हर घर में विराज चुके हैं। इंदौर में गणेशोत्सव की धूम सिर्फ हमारे घरों तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में इसकी धूम मचती है। विशाल पंडालों में विराजित गणेश जी की मनमोहक मूर्ति का दर्शन करने रोजाना हजारों की संख्या में भक्त पधारते हैं। इस साल भी भरपूर उत्साह और श्रद्धा के साथ नए स्वरूप और अंदाज में विभिन्न क्षेत्रों में गणपति जी की स्थापना की गई है। आइये जानते है इंदौर के प्रमुख गणेश पांडालों के बारे में।
कहीं राजा, तो कहीं बाल रूप में विराजे हैं गणेश
नंदा नगर में हर साल नंदा नगर के राजा के नाम से भगवान गणपति जी की स्थापना की जाती है। हर रोज बड़ी संख्या में लोग गणपति बप्पा के दर्शन करने यहां आते हैं। पालदा क्षेत्र में भी पालदा के राजा नाम से भव्य मंडप बनाकर गणपति जी की स्थापना की जाती है। श्री सिद्धि विनायक गणपति मंदिर, महाराष्ट्र समाज राजेंद्र नगर, तरुण मंच, संस्था ब्रह्म चेतना और वैशाली नगर महाराष्ट्र मंडल द्वारा शोभायात्रा निकालकर गणपति जी का स्वागत किया गया। यहां गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में 10 दिन तक विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आयोजित होगी। इस बार गणेश जी के बाल रूप को लोगों ने काफी पसंद किया और अधिकतर पांडालों में बाल रूप में ही गणपति की स्थापना की गई है।
एआई ने बढ़ाई गणेश पांडाल की शोभा
इस वर्ष गणेश पांडालों में एआई का काफी उपयोग किया है। एआई की मदद से पांडालों की शोभा और अधिक बढ़ गई है। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए पीओपी से बने गणपति जी की स्थापना नहीं की गई है। सुपारी और मिट्टी से गणपति जी की मूर्तियों का निर्माण किया गया है। मूर्ति के निर्माण में भी कलाकारों ने एआई की मदद ली है।
खजराना गणेश को लगा सवा लाख लड्डुओं का भोग
पांडलों के साथ ही शहर के प्रमुख गणेश मंदिरों में भी भगवान के दर्शन के लिए भक्तों का ताँता लगा रहता है। प्राचीन खजराना गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के पहले दिन गणेश जी को सोने का मुकुट पहनाकर उनका बाल स्वरूप में विशेष श्रृंगार किया गया। इसके साथ ही उन्हें सवा लाख मोदक का भोग भी लगाया गया।
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