मां अहिल्या ने ही रखी थी विकसित इंदौर की आधारशिला, रानी नहीं मां बनकर करती थी जनता का पालन

आज जिस इंदौर को हम देश के सामने गर्व से संबोधित करते हैं, उसे इतना विकसित और समृद्ध बनाने में लोकमाता अहिल्या का अहम योगदान है। उनके दिखाए रास्ते पर चलकर ही इंदौर आज देश का सबसे स्वच्छ शहर, मध्य भारत का शैक्षणिक हब और आर्थिक राजधानी बना है। 31 मई को मां अहिल्या की जयंती बड़े ही उत्साह से मनाई जाती है, आइए जानते हैं, उनके जीवन से जुड़े रोचक किस्से और इंदौर के विकास लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में।

इंदौर में व्यापार बढ़ाने के लिए किया कर माफ

राजनीति में जनता को लुभाने के लिए नेता अक्सर कर्ज माफी जैसे लुभावने वादे करते हैं और सरकार बनते ही उसे भूल जाते हैं। लेकिन रानी अहिल्याबाई ने इंदौर का व्यापार बढ़ाने के लिए कई व्यापारियों का कर्ज माफ कर दिया और उन्हें स्थाई तौर पर इंदौर में ही बसने और व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस तरह शुरू हुई इंदौर के विकास की कहानी।

देश के आध्यात्मिक विकास में किया सहयोग

मां अहिल्या ने न सिर्फ इंदौर बल्कि देश के आध्यात्मिक विकास में भी काफी सहयोग किया है। उन्होंने इंदौर के मल्हारी मार्तंड मंदिर की स्थापना की थी। इसके अलावा राजवाड़ा स्थित गोपाल मंदिर का निर्माण भी रानी अहिल्या बाई ने ही करवाया था। अहिल्यादेवी ने वृंदावन में निःशुल्क अन्नक्षेत्र, द्वारका में अन्नक्षेत्र व धर्मशाला, पंढरपुर के राम मंदिर का निर्माण, रामेश्वरम में यात्रियों की सुविधा के लिए धर्मशाला का निर्माण, गंगोत्री में गंगा के उद्गम स्थल पर घाट का निर्माण, काशी में विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण जैसे अनेक धार्मिक कार्य किए हैं।

लड़कियों को दिलाया शिक्षा का अधिकार

इंदौर को मध्य भारत का एजुकेशन हब भी माना जाता है। सिर्फ आस-पास के शहर ही नहीं बल्कि विभिन्न राज्यों के बच्चें यहां के स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए आते हैं। मां अहिल्या के जीवन में पढ़ाई से जुड़ा एक रोचक किस्सा भी है। दरअसल अहिल्या बाई के समय में लड़कियों को शिक्षा का अधिकार नहीं होता था। जब वह शादी करके अपने ससुराल आई तब उनकी शिक्षा के प्रति रुचि देखकर अहिल्या बाई के ससुर मल्हार राव होलकर ने घर में ही उनकी पढ़ाई की व्यवस्था करवा दी। रानी बनने के बाद अहिल्या बाई ने नियम बनाया की अबसे सभी लड़कियों के पास शिक्षा का अधिकार होगा। इसलिए उन्हीं के नाम पर इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय भी स्थापित है, जहां देशभर से बच्चे पढ़ाई करने आते हैं।

न्यायप्रियता की मिसाल है देवी अहिल्या

देवी अहिल्या अपने न्यायप्रिय व्यवहार के लिए देशभर में जानी जाती हैं। महादेव की भक्त रानी अहिल्या अपने हर आदेश के नीचे अपने नाम की जगह महादेव का नाम लिखती थी। उनका सोचना था कि राजमद में उनसे गलती से भी कोई गलती न हो। ऐसा ही एक और किस्सा है जो रानी अहिल्या के न्याय का उत्तम उदाहरण है। धार के होलकर रियासत में एक भूमि को लेकर विवाद चल रहा था। इसकी वजह चंबल नदी के पास स्थित एक बहुत बड़े क्षेत्र पर कब्जे की थी। जब यह विवाद अहिल्याबाई के पास पहुंचा तो उन्होंने निर्णय दिया की इस भूमि पर किसी का अधिकार नहीं होगा, दोनो राज्य मिलकर इसकी व्यवस्था संभालेंगे और इसे गोचर भूमि के रूप में उपयोग किया जाएगा। उनके इस निर्णय को सभी ने स्वीकार भी किया।

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