कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी शामिल हुए
जेपी नड्डा बोले- एड्स के अवेयरनेस को लेकर स्कूलों में कार्यक्रम होना चाहिए। कैंपेन चलाना चाहिए
इंदौर। शहर में रविवार को राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हुए। खंडवा रोड स्थित देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नड्डा के साथ सीएम डॉ मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मंत्री तुलसी सिलावट सहित कई स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
इंदौर में जयप्रकाश नड्डा ने कहा कि एड्स को लेकर चर्चा करने में कई संकोच नहीं करना चाहिए। जब मैं इस पर बात कर सकता हूं तो आपको भी समाज में जाकर खुलकर चर्चा करना चाहिए। स्कूलों में कार्यक्रम होना चाहिए। कैंपेन चलाना चाहिए। वर्ल्ड एड्स डे और उसके खिलाफ चल रही जंग को डेडिकेट और रि-डेडिकेट करने का दिन है। अभी ऐसी कोई दवा नहीं आई है जो पूरी तरह एचआईवी को ठीक कर सके। दवाएं तो पूरे समय खाना पड़ेंगी। लेकिन दवाओं से व्यक्ति पूरे जीवन स्वस्थ रह सकता है। इसलिए ऐसे लोगों को समाज में जगह देना चाहिए। विरोधियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद एड्स बीमारी पर कंट्रोल रिसर्च और डेवलपमेंट के साथ कोरोना वैक्सीन तक का सफर बताया।
जेपी नड्डा ने आगे कहा कि, एक समय ऐसा था जब भारत में टिटनेस की दवा को 40 साल, टीबी की दवा को 30 साल, डिप्थीरिया की दवा को 30 साल, जापानी बुखार को ठीक करने वाली दवा आने में 100 साल लग गए। लेकिन अब भारत ऐसे बदला कि कोरोना आया और 9 माह में भारत ने दो-दो वैक्सीन बनाकर पूरी दुनिया को सप्लाई की। यह बदलता भारत है। कोरोना मैनेजमेंट को उठाकर देखिए। अमेरिका में स्ट्राइक हुई, यूरोप में लोगों ने लॉकडाउन लगाने से रोका, कई देश लॉकडाउन लगाने के लिए तय नहीं कर पाए। वे असमंजस में थे। लेकिन भारत में पहले जनता कर्फ्यू फिर लॉकडाउन लगाए।
कार्यक्रम में मौजूद बच्चों से बात करते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि हमारे समाज ने देश में एड्स की लंबी लड़ाई लड़ी है। लेकिन, हमारे नौजवानों ने अंधकार का वो काला दौर नहीं देखा। इसलिए आपको मालूम नहीं है कि एड्स का मतलब क्या है। आप लोगों ने 80 का दशक नहीं देखा। आपको मालूम नहीं है कि एड्स मतलब क्या होता है। उस समय अगर कोई एड्स मरीज किसी को छू जाए तो लोग डर जाते थे। लोग ऐसे परिवारों से दूर रहते थे।