अपूर्व सौंदर्य और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति पाने का उत्सव है रूप चौदस

नर्क चतुर्दशी एवं रूप चौदस दिवाली उत्सव के प्रमुख दिन है। दीपोत्सव के एक दिन पहले मृत्य के देवता यम की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन यम की पूजा करने वाले को मृत्यु के बाद नर्क नहीं मिलता है। इसके साथ ही इस दिन अभ्यंग स्नान करने की भी परंपरा है।

चतुर्दशी पर करें यमराज और श्री कृष्ण की पूजा

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार रूप चौदस के दिन यमराज और श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। चतुर्दशी की शाम को दक्षिण दिशा में यम के लिए दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से रक्षा की प्रार्थना की जाती है। महाभारत के अनुसार इसी दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध करके 1600 गोपियों को उसकी कैद से छुड़ाया था।

सूर्योदय से पहले करें स्नान

रूप चौदस को अभ्यंग स्नान करने की परंपरा है। इस दिन सूर्योदय से पहले उबटन और तिल का तेल लगाकर सर से स्नान किया जाता है। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। सूर्योदय से पहले स्नान करने की वजह से इसे अभ्यंग स्न्नान कहा जाता है। इस साल रूप चौदस 30 अक्टूबर को मनाई जा रही है।

जरुरी है ठंड में स्किन का ध्यान रखना

ठंड में स्किन जल्दी ड्राई हो जाती है। स्किन का ख्याल रखने और उसे मॉइस्चराइज़ करने में प्राकृतिक उबटन काफी सहायता करता है इसलिए हमारे बड़ों द्वारा रूप चौदस को उबटन से स्नान की परंपरा बनाई गई है। ठंड में सेहत के साथ ही त्वचा का ध्यान रखना भी बेहद जरुरी होता है।

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