नवरात्रि के आठवें दिन शिव की शक्ति महागौरी की आराधना की जाती है। इस दिन का बहुत महत्व है। गौर वर्ण होने के कारण मां को महागौरी कहा जाता है। शिव की अर्धांगिनी के रूप में वह महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान देती है। इस दिन छोटी कन्याओं को माता के रूप में पूजा जाता है।
शिव ने दिया गौर वर्ण का वरदान
पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन आराधना की थी। एक दिन वह किसी बात से शिव जी से रूठकर वापस वन में तपस्या करने चली गई। जब वह काफी समय तक वापस नहीं आई तो शिवजी उन्हें खोजते हुए इस वन में पहुंचे। जब उन्होंने तपस्या करती हुई मां पार्वती को देखा तो उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत और कुंध के फूल समान धवल दिख रही थी तब शिवजी ने उन्हें श्वेत वर्ण का वरदान दिया और वह गौरी कहलाई।
अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखती है मां
मां की पूजा करने वाले भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। मां अपने भक्त के सभी कष्ट हर लेती है। महागौरी ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा है या विवाह में दिक्क़त आ रही है उन्हें महागौरी की पूजा जरूर करनी चाहिए।
सौम्य रूप में दर्शन देती है मां गौरी
मां गौरी अति शांत, सौम्य और कृपालु है। वह श्वेत वस्त्र धारण करती है और उनका वर्ण गौर है। उनके आभूषण का रंग भी सफ़ेद होता है। उन्हें श्वेताम्बरा नाम से भी जाना जाता है। देवी के चार हाथ है एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू है। मां ने एक हाथ से अभय मुद्रा और एक हाथ से वरमुद्रा बनाई हुई है। मां गौरी बैल की सवारी करती है। उन्हें नारियल से बना भोग प्रिय है।