इंदौर में श्री व्यंकटेश मंदिर से पैदल मार्च निकाला गया, साधु-संतों के साथ ही हजारों लोग हुए शामिल
संतों ने कहा- दोषियों को चिन्हित कर कठोर दंड दिया जाए और धर्मस्थलों की व्यवस्था में प्रशासनिक दखलंदाज़ी बंद की जाए
इंदौर। भारत के प्राचीन और सुप्रसिद्ध श्री तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद व्यवस्था में हुए कृत्य को लेकर हिंदू समाज में काफी आक्रोश का माहौल है। यह आक्रोश पूरे भारत के विभिन्न राज्यों में देखने को मिल रहा है। इसी के तहत इंदौर में हिंदू समाज द्वारा बुधवार को जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए केंद्र सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की गई। मार्च में रामानुजाचार्य नागोरिया पीठाधीश्वर स्वामी विष्णु प्रपन्नाचार्य महाराज भी शामिल हुए। ज्ञापन सौंप कर साधु संतों के द्वारा कहा गया कि दोषियों को चिन्हित कर कठोर दंड दिया जाए और धर्मस्थलों की व्यवस्था में प्रशासनिक दखलंदाज़ी बंद की जाए।
इंदौर में श्री व्यंकटेश मंदिर से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक साधु समाज और विभिन्न समाजों के संगठन द्वारा पैदल मार्च करते हुए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन के माध्यम से 8 सूत्रीय मांगे रखी गई है, जिसमें पहली मांग टीटीडी की बोर्ड में धर्माचार्य का चयन होना चाहिए, भारत सरकार के अंतर्गत जितने भी मठ मंदिर हैं उनमें धर्मरक्षण बोर्ड का गठन हो, प्रत्येक मंदिर में गौशाला की व्यवस्था और संपत्तियों को सुरक्षित किया जा सके, सरकार वैदिक परंपराओं से छेड़छाड़ ना करते हुए पुरातन परंपरा को बढ़ावा दे, प्रत्येक जिले में खाद्य सामग्री गुणवत्ता मापने के लिए लैब की व्यवस्था हो, खाद्य सामग्री पर हिंदू देवी देवता का प्रचार रोका जाए, हिंदू मंदिरों में अन्य धर्म अधिकारियों के हस्ताक्षर को रोका जाए, मंदिरों में आने वाला धन केवल हिंदू समाज के जनकल्याण में खर्च हो। इन आठ सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है और आह्वान किया है कि यदि मांगे पूरी नहीं होती है तो पूरे भारत के साधु संत एक होकर आवाज बुलंद करेंगे और हिंदू समाज को जागृत करेंगे।