संतों का कहना है कि शाही उर्दू शब्द है, कुंभ स्न्नान का नाम ‘अमृत स्न्नान’ या ‘दिव्य स्न्नान’ रखा जा सकता है
महाकाल की सवारी से ‘शाही’ शब्द हटाने का विरोध सफल होने के बाद अब कुंभ में किए जाने वाले स्न्नान से भी ‘शाही’ शब्द हटाने की मांग की जा रही है। सभी संतों का कहना है कि शाही उर्दू शब्द है। इसे कुंभ और महाकाल की सवारी से जोड़ना गलत होगा।
13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों से मांगेंगे सुझाव
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा है कि कुंभ स्न्नान से शाही शब्द हटाना अत्यंत आवश्यक है। यह शब्द उर्दू का है। ‘शाही’ और ‘राजसी’ में कोई अंतर नहीं है। इसे हिंदी में राजसी किया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर राजसी या दूसरे नाम पर विचार किया जाएगा और इसकी शुरुआत प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ मेले से की जाएगी।
मध्यप्रदेश सरकार ने उठाया सही कदम
जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने उचित कदम उठाते हुए ‘शाही सवारी’ की जगह ‘राजसी सवारी’ का प्रयोग करने का सुझाव दिया है। इस तरह के प्रतीकों को बदलना आवश्यक है। कुंभ स्न्नान का नाम ‘अमृत स्न्नान’ या ‘दिव्य स्न्नान’ रखा जा सकता हैं।
अगले साल प्रयागराज में होगा पूर्ण कुंभ का आयोजन
प्रयागराज में अगले वर्ष 13 जनवरी 2025 से 24 अप्रैल तक पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन किया जाएगा। इस मेले के दौरान गंगाजी में स्न्नान करने दूर-दूर से लाखों की संख्या में भक्त और संत आते हैं। यह भारतीय संस्कृति और आस्था का एक महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए कुंभ में किए जाने वाले स्न्नान के नए नाम पर विचार किया जा रहा है।
महाकाल की सवारी से हुई थी विरोध की शुरुआत
बता दें कि सोमवार को महाकाल की सावन-भादो की अंतिम सवारी निकाली गई थी। तब संत समुदाय की ओर से सवारी को शाही कहने पर आपत्ति उठायी गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सवारी की शुभकामनाएं देते हुए ‘राजसी सवारी’ शब्द का प्रयोग किया। उनके इस प्रयोग की काफी प्रशंसा भी की गई थी। इसके बाद यही विरोध कुंभ स्न्नान के लिए भी किया जा रहा है।