सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर किया नेशनल टास्कफोर्स का गठन

कोर्ट ने टास्क फोर्स को तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट देने और दो महीने में फाइनल रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया

कोर्ट ने कहा- संविधान के तहत समानता किस बात की है, अगर महिलाएं अपने वर्कप्लेस पर सुरक्षित नहीं रह सकतीं

नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर लेडी डॉक्टर की हत्या और रेप के मामले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के शुरू में पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल के सामने सवालों की बौछार लगा दी। कोर्ट ने देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। यह टास्क फोर्स डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सुझाव देगी। कोर्ट ने टास्क फोर्स को तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट देने के लिए कहा है। साथ ही दो महीने में फाइनल रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।

सीबीआई की रिपोर्ट पर गुरुवार को फिर होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि जो कुछ हो रहा है, उसे हम चुपचाप नहीं देख सकते। हम एक और रेप का इंतजार नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने महिला डॉक्टरों की सुरक्षा पर भी चिंता जताई। अस्पतालों में काम के हालात में सुधार जरूरी है। कई लोग हथियार लेकर अस्पताल आ जाते हैं, लेकिन उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच कर रही सीबीआई से भी रिपोर्ट मांगी है। सीबीआई की रिपोर्ट पर गुरुवार को फिर सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि ये सिर्फ एक मर्डर का मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है। बेंच ने कहा कि महिलाएं सुरक्षा से वंचित हो रही हैं। बेंच ने कहा कि आखिर ऐसे हालात में डॉक्टर कैसे काम करेंगे। हमने देखा है कि उनके लिए कई जगहों पर रेस्ट रूम तक नहीं होते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। ज्यादातर युवा चिकित्सक 36 घंटे काम करते हैं, हमें काम करने की सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है।

क्या करेगी टास्कफोर्स?

बता दें कि टास्कफोर्स चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा और अन्य संबंधित मामलों पर विचार करेगी। लिंग आधारित हिंसा को रोकना, इंटर्न, रेजिडेंट, नॉन रेजिडेंट डॉक्टरों के सम्मानजनक कामकाज के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करना होगा। कमेटी इन विषयों पर भी अपनी रिपोर्ट देगी। टास्क फोर्स में एम्स के निदेशक डॉ एमश्री निवासन को प्रमुख भूमिका दी गई है। इसके अलावा एम्स जोधपुर निदेशक डॉ गोवर्धन दत्त, डॉ डी नागेश्वर रेड्डी, सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन, डॉ प्रतिमा मूर्ति, डॉ सोमिक्रा, डॉ पद्मा श्रीवास्तव, प्रो अनीता सक्सेना, पल्लवी सैपले को भी टास्क फोर्स में शामिल किया गया है।

 

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