सावन के दूसरे सोमवार को निकाली गई दूसरी सवारी, चंद्रमौलेश्वर के स्वरूप में दिखे महाकाल
350 जवानों का विशेष पुलिस बैंड भी दूसरे सोमवार की सवारी में शामिल
भारतीय टीम के क्रिकेटर उमेश यादव भी भस्म आरती में हुए शामिल
जोधपुर और फरीदाबाद के दल के साथ कई श्रद्धालुओं ने महाकाल के दर्शन किए
उज्जैन। सावन के दूसरे सोमवार को भी उज्जैन में गजब का उत्साह नज़र आया। महाकाल के दर्शन पाने के लिए रविवार देर रात 1 बजे से ही भक्त कतारों में लगना शुरू हो गए थे। रात 2.30 बजे भस्म आरती के लिए मंदिर के पट खोले गए। पंचामृत अभिषेक के बाद भांग, चंदन, सूखे मेवों और आभूषणों से बाबा महाकाल का अर्धनारीश्वर स्वरूप दिव्य श्रृंगार किया गया। सोमवार को लाखों श्रद्धालु शामिल हुए।
महाकाल मंदिर के पुजारी द्वारा पंचामृत अभिषेक दूध, दही, शक्कर, शहद और विभिन्न प्रकार के फलों के रस से किया गया। इसके बाद भांग, चंदन, सूखे मेवों और आभूषणों से बाबा महाकाल का अर्धनारीश्वर स्वरूप दिव्य श्रृंगार किया गया। इसके बाद भस्म रमई गई। भस्म आरती में शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचे। भारतीय टीम के क्रिकेटर उमेश यादव भी महाकाल की भस्म आरती में शामिल हुए। करीब 2 घंटे तक उन्होंने बाबा महाकाल की भस्म प्रमाणों की पूरी प्रक्रिया का आनंद नंदी हाल में बैठकर उठाया। भस्म आरती में चलित और परमिशन लेकर 15 हजार से अधिक श्रद्धालु ने दर्शन किए। रात 10.30 बजे तक दर्शन का सिलसिला इसी तरह चलता रहेगा। पहले सोमवार पर करीब चार लाख श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन किए थे। दूसरे सोमवार पर भी 5 लाख श्रद्धालु के दर्शन करने का अनुमान लगाया जा रहा है।
सावन के दूसरे सोमवार को शाम 4 बजे सावन की दूसरी सवारी निकाली गई। पालकी में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर के स्वरूप में और हाथी पर श्री मनमहेश के स्वरूप में प्रजा का हाल जानने निकले। पहली सवारी में भगदड़ की स्थिति बनने के बाद कलेक्टर नीरज सिंह ने इस बार सवारी में डीजे पर बैन लगा दिया है। हालांकि, सवारी में पहली बार भोपाल पीएचक्यू से 350 जवानों का विशेष पुलिस बैंड शामिल होगा। पुलिस बैंड शिप्रा के तट पर पूजन के समय दत्त अखाड़े ने घाट पर प्रस्तुति दी। सवारी में भारिया जनजातीय के भड़म नृत्य दल के 30 सदस्य और बैगा जनजातीय के करमा नृत्य दल के 30 सदस्य प्रस्तुति देते हुए चल रहे थे।
जोधपुर और फरीदाबाद के दल के साथ कई श्रद्धालुओं ने महाकाल के दर्शन का लाभ लिया। यह दल सभी श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र रहा। जोधपुर से आए दल ने हरे पेड़ों के लिए बलिदान देने वाले 363 लोगों के लिए बाबा महाकाल के दर्शन किए।