देशभर के स्टूडेंट्स और पैरेंट्स के बवाल के बाद केंद्र सरकार ने लिया बड़ा और अहम फैसला
सीबीआई को जांच सौंपने से पहले एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह को उनके पद से हटा दिया गया
नई दिल्ली। नीट यूजी 2024 परीक्षा में गड़बड़ी की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) करेगी। शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा से जुड़ी गड़बड़ी मामले में समीक्षा के आधार पर पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला लिया है। बता दें कि स्टूडेंट्स और पैरेंट्स नीट यूजी परीक्षा में गड़बड़ी की जांच के लिए शुरू से ही सीबीआई को देने की मांग कर रहे थे। हालांकि, सीबीआई को जांच सौंपने से पहले शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह को उनके पद से हटा दिया है। इसी के साथ उन्हें अनिवार्य वेट करने के लिए कहा गया है।
अभी तक बिहार पुलिस और गुजरात पुलिस अलग-अलग गड़बड़ी और नकल मामले की जांच कर रहे थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पांच मई को देश और विदेश के साढ़े चार से अधिक केंद्रों में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने ओएमआर (पेन और पेपर) मोड में नीट यूजी 2024 परीक्षा आयोजित की, लेकिन परीक्षा के बाद से कथित अनियमितता/धोखाधड़ी/ प्रतिरूपण/कदाचार के कुछ मामले सामने आए हैं। परीक्षा प्रक्रिया के संचालन में पारदर्शिता के लिए शिक्षा मंत्रालय ने समीक्षा के बाद इस मामले को व्यापक जांच के लिए सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया है।
एक दिन पहले ही लागू किया है कानून
केंद्र सरकार ने एक दिन पहले ही सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकने और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामले का प्रावधान करने के लिए सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 भी लागू किया है। सरकार परीक्षाओं की शुचिता सुनिश्चित करने और छात्रों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने साफ कहा है कि इन गड़बड़ी में शामिल किसी भी व्यक्ति/संगठन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
दायर याचिका में क्या है?
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार- वर्ष 2024 की नीट-यूजी परीक्षा में कई अन्य अनियमितताएं थीं, खासकर उम्मीदवारों को समय पर प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने में अधिकारियों की ओर से घोर लापरवाही बरती गई।’ याचिका में कहा गया है, ‘कुछ जगहों पर प्रश्नपत्रों का गलत सेट वितरित किया गया और बाद में वापस मांग लिया गया।
गौरतलब है कि परीक्षा 5 मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी। परीक्षा में लगभग 24 लाख उम्मीदवार उपस्थित हुए थे। नतीजे 14 जून को घोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन 4 जून को घोषित किए गए। रिजल्ट में अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। मुकदमेबाजी के साथ ही प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के बीच झड़पें हईं।