कहा गया कि साधु- संतों में दलित का वर्गीकरण कर उनका अपमान नहीं करें
पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी एवं सचिव रूपेश मेहता ने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविन्द्रपुरी महाराज को लिखा पत्र
उज्जैन। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के अध्यक्ष ने संत समुदाय और अखाड़ों में जातिवाद का बीजारोपण घातक बताया है। पुजारी महासंघ के अध्यक्ष महेश पुजारी ने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रवींद्र पूरी को पत्र लिखा। साधु संतों में एससी, एसटी और दलित साधुओं के नाम पर राजनीति कर उनके मान सम्मान को ठेस क्यों पहुंचाई जा रही है। इस विषय का एक पत्र प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को लिखा है।
अखाड़ा परिषद द्वारा 100 दलित वर्ग के साधुओं को महामंडलेश्वर बनाने की बात सामने आने के बाद महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने आपत्ति ली है। आरोप लगाया कि साधु की कोई जाति या वर्ण नहीं होता, उसके लिए सभी समान होते हैं। साधुओं में एससी-एसटी और दलित क्यों? दलित के नाम का जातिवाद होने लगेगा, तो देश में साधु-संतों का जो मान सम्मान कम होगा या समाप्त होगा?
जैन संत कभी भी किसी वर्ग या राजनीति की बात नहीं करते, वह केवल अपने जैनत्व को आगे बढ़ाने की बात करते हैं। पिछले कई दशकों से सनातन धर्म को मानने वाले अनुयायियों ने भी किसी साधु संत से उसकी जात नहीं पूछी। केवल उनके ज्ञान को माना है तो फिर आज साधु संतों में एससी, एसटी और दलित साधुओं के नाम पर राजनीति कर उनके मान सम्मान को ठेस क्यों पहुंचाई जा रही है? इस विषय का एक पत्र अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी एवं सचिव रूपेश मेहता ने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविन्द्रपुरी महाराज को भेजा है। जिसमें लिखा है कि अखाड़ा परिषद 100 एसएसी एसटी और दलित साधुओं को महामंडलेश्वर बनाएगा। इसकी बड़ी प्रसन्नता हुई, लेकिन मन में चिंता और दुख भी हुआ कि यदि साधुओं में भी एससी, एसटी और दलित के नाम का जातिवाद होने लगेगा, तो देश में साधु संतों का जो मान सम्मान है, वह कम होगा। संत समुदाय में तो पहले से ही समरसता है, तो आज जातिवाद का नया बीजारोपण क्यों? यह सनातन धर्म संस्कृति के लिए घातक है।
महासंघ द्वारा यह पत्र देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को भी भेजा गया है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय पुजारी महासंघ निवेदन करता है कि साधु संतों में दलित का वर्गीकरण कर उनका अपमान नहीं कराए।