स्वामी विवेकानंद ने कहा है- युवा अपने आप को पहचानें और ये स्वीकार करें कि वे दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं
हमारे देश में यदि किसी शख्सियत ने युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है तो वो हैं स्वामी विवेकानंद। उनका ऐसा व्यक्तित्व था, जो हर युवा के लिए एक आदर्श है, जिनके संदेश आज भी लोगों को उनका अनुसरण करने को मजबूर कर देते हैं। देश के युवाओं को सही मार्गदर्शन मिल सके, इसलिए हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद महान समाज सुधारक, दार्शनिक और विचारक थे। उनके दर्शन और विचारों के प्रचार-प्रसार एवं जिन आदर्शों पर उन्होंने काम किया और जिनका जिंदगी में पालन किया, उससे लोगों को अवगत कराना इसका खास मकसद है।
देश का भविष्य निर्भर करता है देश के युवाओं पर
किसी भी देश का भविष्य उस देश के युवाओं पर निर्भर होता है। हर समय ही देश के विकास में युवा पीढ़ी का बहुत बड़ा योगदान होता है। स्वामीजी देश भर के सभी युवाओं के लिए प्रेरणा थे। आज के इस समय में हम सभी युवाओं को स्वामी जी के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। उन्हीं से हमने सीखा है कि यदि हम धैर्य के साथ काम करते रहेंगे तो बड़ा लक्ष्य भी हासिल कर सकेंगे। 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन मनाया जाता है। विवेकानंद जी के बचपन का नाम नरेंद्रनाथ था। उनका जन्म 1863 में कोलकाता में हुआ था और उन्होंने 25 वर्ष की उम्र में सन्यास धारण किया था। स्वामी विवेकानंद नाम उनको उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने दिया था। उन्होंने अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में अपने भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया तथा वेदांत दर्शन का प्रसार पूरे विश्व में किया। उन्होंने सेवा कार्य के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
युवाओं का देश है हमारा भारत
हमारे देश में 15 से 30 साल के बीच यदि आपकी उम्र है, तो आप युवा हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा यूथ भारत में ही रहते हैं। 2014 तक हमारे देश की सरकार 13 से 35 साल तक के लोगों को युवा मानती थी। 2014 में नेशनल यूथ पॉलिसी आई और युवा की परिभाषा बदल गई। अब 15 साल से ज्यादा और 30 साल से कम उम्र के ही लोग ही सरकारी रिकॉर्ड में युवा माने जाते हैं। इस लिहाज से देश में 37 करोड़ युवा हैं। यानी, कुल आबादी की करीब 27% फीसदी पॉपुलेशन यूथ की है। कई महान लोगों का कहना हैं कि युवा यदि दाम से ज्यादा काम करता है तो उसे सफल होने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। यदि कोई प्रण कर लें कि मुझे दुनिया से जितना मिला है उससे अधिक वापस करूंगा, देश या परिवार से जितना मिला है उससे अधिक वापस करूंगा तो वह दुनिया के हर लक्ष्य को पा सकता है।