दिल्ली का एक्यूआई 310 दर्ज किया, जोकि हवा बेहद खराब श्रेणी का स्तर है
बेहद खराब हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने पर हो सकती है श्वसन संबंधी बीमारियां
नई दिल्ली। यह कोई नई खबर नहीं बल्कि वहीं खबर है जो लगभग हर साल आती है। देश की राजधानी की आबोहवा इस बार फिर सबसे प्रदूषित पाई गई है। सोमवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 310 दर्ज किया, जोकि हवा का बेहद खराब श्रेणी का स्तर है। यह रविवार के मुकाबले 33 सूचकांक अधिक है। बता दें कि पूरे देश में दिल्ली के अलावा ऐसा कोई केंद्र नहीं रहा जहां एक्यूआई 300 पार रहा हो। बढ़ते प्रदूषण को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने सोमवार को बैठक की।
दिवाली से पहले ही दिल्ली की हवा बेहद खराब है यानी एक-एक सांस जहरीली होती जा रही है। यह इस मौसम में पहली बार है जब लोगों को बेहद खराब हवा में सांस लेने को मजबूर होना पड़ा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के देशभर में प्रदूषण जांच के लिए 238 स्टेशन हैं। इसके मुताबिक हनुमानगढ़ में 291, भिवानी में 289, रोहतक में 283, जिंद में 277 समेत 18 सब केंद्रों में एक्यूआई खराब श्रेणी में रहा। वहीं, एनसीआर में दिल्ली के बाद गाजियाबाद की हवा सबसे खराब रही। यहां 257 एक्यूआई दर्ज किया गया। साथ ही, नोएडा में 252, गुरुग्राम में 210, ग्रेटर नोएडा में 183 और फरीदाबाद में 165 एक्यूआई रहा। सीपीसीबी के मुताबिक शादीपुर, आरकेपुरम व मुंडका सहित 10 इलाकों में एक्यूआई अति गंभीर श्रेणी में रही। जबकि बवाना, नॉर्थ कैंपस, बुराड़ी समेत 22 इलाकों में एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि बेहद खराब हवा में लंबे समय तक संपर्क में रहने पर श्वसन संबंधी बीमारी हो सकती है। आईआईटीएम के मुताबिक सोमवार को उत्तर भारत में पराली जलाने की 500 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं। ऐसे में दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 2.881 फीसदी रही। वहीं, मंगलवार को हवा में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 6.86 फीसदी रह सकती है। डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) क्रे आंकड़ों के अनुसार वायु प्रदूषण में खुले में कूड़ा जलने से होने वाले धुआं 0.989 फीसदी रहा। जबकि यातायात से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 9.953 फीसदी ही।
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