आज से 2 अक्टूबर तक चलेंगे पितृपक्ष, इस दौरान किए गए तर्पण से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है
पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों और पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं
हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष का आरंभ होता है। इस दौरान पूर्वजों और पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरुआत आज यानी 18 सितंबर को प्रतिपदा तिथि से मानी जाएगी और 2 अक्टूबर को (सर्व पितृ अमावस्या) समाप्त होगा। पितृपक्ष में किए गए तर्पण से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में श्राद्ध की परंपरा महाभारत काल से हुई थी।
हिंदू धर्म में पितृपक्ष की अवधि पितरों और पूर्वजों के लिए समर्पित होती हैं। पितृपक्ष में हम लोग अपने पितरों को याद करते हैं और याद में दान धर्म का पालन करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ नाराज हो जाएं तो घर की तरक्की में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। वर्ष में पंद्रह दिन की विशेष अवधि में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं और इसकी शुरुआत आज से हो चुकी है। श्राद्ध पक्ष को पितृपक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर सर्वपितृ अमावस्या तक पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहलाती है।