छात्रों के आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र पहले, तमिलनाडु दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर
भारत में कुल आत्महत्या दर में सालाना 2% की वृद्धि हुई है, जबकि छात्रों की आत्महत्या की दर में 4% की वृद्धि हुई
जिस दर से भारत की आबादी बढ़ रही है, उससे ज्यादा छात्र आत्महत्या कर रहे हैं
आत्महत्या… ये शब्द सुनकर ही भयानक डर हमारे चेहरे पर आ जाता है। दुनिया में कोई भी नहीं चाहता कि उसका कोई अपना आत्महत्या जैसे शब्द को अमल में लेकर आए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि फिर भी हर एक ने, किसी न किसी अपने को आत्महत्या के कारण खोया है। सब जानते हैं यह बहुत ही बुरा कदम है, फिर भी यह कदम उठाया जाता है। आत्महत्या तो सभी के लिए बुरी है लेकिन जब घर के बच्चे और युवा इस कदम को उठाते हैं तो यह और भी खतरनाक हो जाता है। ये बातें आज हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े सामने आए हैं। इन आंकड़ों के आधार पर, रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कुल आत्महत्या दर में सालाना 2% की वृद्धि हुई है, जबकि छात्रों की आत्महत्या की दर में 4% की वृद्धि हुई है।
छात्र आत्महत्या के मामले के ये प्रदेश है आगे
• महाराष्ट्र – 1,764 आत्महत्याएं (कुल छात्र आत्महत्याओं का 14%)
• तमिलनाडु – 1,416 आत्महत्याएं (कुल छात्र आत्महत्याओं का 11%)
• मध्य प्रदेश – 1,340 आत्महत्याएं (कुल छात्र आत्महत्याओं का 10%)
• उत्तर प्रदेश – 1,060 आत्महत्याएं (कुल छात्र आत्महत्याओं का 8%)
• झारखंड – 824 आत्महत्याएं (कुल छात्र आत्महत्याओं का 6%)
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा छात्र कर रहे हैं आत्महत्या
महाराष्ट्र में छात्र आत्महत्याओं की संख्या सबसे अधिक है, जो कुल का 14 प्रतिशत है। इसके बाद तमिलनाडु 11 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी चिंताजनक आंकड़े हैं। एमपी में 10 प्रतिशत और यूपी में 8 प्रतिशत छात्र सुसाइड कर रहे हैं। वहीं, झारखंड में कुल आत्मत्याओं में छह प्रतिशत छात्र पाए गए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के आधार पर, रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कुल आत्महत्या दर में सालाना 2% की वृद्धि हुई है, जबकि छात्रों की आत्महत्या की दर में 4% के करीब की वृद्धि हुई है।
क्या कहती है आईसी-3 की रिपोर्ट
गैर-लाभकारी संस्था आईसी-3 रिपोर्ट में कहा गया है- ‘पिछले दो दशकों में छात्र आत्महत्याएं 4 पर्सेट की चिंताजनक वार्षिक दर से बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी हैं। 2022 में कुल स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं में छात्रों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत थी। 2021 और 2022 के बीच छात्र आत्महत्याओं में 6 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि छात्राओं की आत्महत्या में 7 पसेंट की वृद्धि हुई है।’ स्टूडेंट्स की आत्महत्या की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और कुल आत्महत्या ट्रेंड, दोनों को पार कर रही हैं। पिछले दशक में 0-24 वर्ष के बच्चों की आबादी 582 मिलियन से घटकर 581 मिलियन हो गई, जबकि स्टूडेंट्स आत्महत्या की संख्या 6,654 से बढ़ कर 13,044 तक हो गई है।