राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद संभालेंगे, पहली बार उन्हें मिला कोई संसदीय पद

कांग्रेस को 10 साल के अंतराल के बाद मिला विपक्षी नेता का पद, गांधी परिवार को तीसरी बार मिला ये पद

राहुल गांधी इस बार उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं

एक कैबिनेट मंत्री को मिलने वाले सभी अधिकार और सुविधाएं मिलेंगी नेता प्रतिपक्ष को

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद संभालेंगे। विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी की नियुक्ति पर निर्णय कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर ‘इंडिया’ ब्लॉक के फ्लोर नेताओं की बैठक के बाद किया गया। इस फैसले के बारे में एक पत्र प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को भेज दिया गया है। गांधी परिवार को तीसरी बार ये पद मिला है। गांधी परिवार से सोनिया गांधी विपक्ष की नेता रह चुकी हैं। उन्होंने 13 अक्टूबर 1999 से 06 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष को जिम्मेदारी निभाई है। इसके अलावा राजीव गांधी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रह चुके हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि “कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष (सोनिया गांधी) ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखकर राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त करने के फैसले की जानकारी दी।” उन्होंने कहा कि अन्य नियुक्तियों पर फैसला बाद में लिया जाएगा।

कांग्रेस के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं की पसंद से बने हैं राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष

बता दें कि राहुल गांधी इस बार उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं। इससे पहले वह लोकसभा में केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के अमेठी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह पांचवीं बार लोकसभा पहुंचे हैं। उन्होंने मंगलवार को संविधान की प्रति हाथ में लेकर सांसद पद की शपथ ली। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस को 10 साल के अंतराल के बाद विपक्षी नेता का पद मिला है। वह पिछले दो चुनावों में लोकसभा में पद सुरक्षित करने के लिए आवश्यक 10 प्रतिशत सदस्य जुटाने में विफल रही थी। गौरतलब है कि कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। कांग्रेस के अधिकांश वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग कर रहे थे।

अब राहुल सरकार के आर्थिक फैसलों की समीक्षा कर पाएंगे

राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष होने के बाद वह सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर अपनी टिप्पणी भी कर सकेंगे। राहुल गांधी उस ‘लोक लेखा’ समिति के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है।

नेता प्रतिपक्ष को मिलेंगी ये सारी सुविधाएं

नेता प्रतिपक्ष होने के बाद Leaders Of Opposition In Parliament Act 1977 के अनुसार नेता प्रतिपक्ष के अधिकार और सुविधाएं ठीक वैसे ही होते हैं, जो एक कैबिनेट मंत्री के होते हैं। अब राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष होने के नाते उन्हें कैबिनेट मंत्री की तरह सरकारी सचिवालय में एक दफ्तर मिलेगा। कैबिनेट मंत्री की रैंक के अनुसार उच्च स्तर की सुरक्षा मिलेगी। उन्हें मासिक वेतन और दूसरे भत्तों के लिए 3 लाख 30 हज़ार रुपये मिलेंगे, जो एक सांसद के वेतन से कहीं ज्यादा होंगे। इसके अलावा राहुल गांधी को एक ऐसा सरकारी बंगला मिलेगा, जो कैबिनेट मंत्रियों को मिलता है और उन्हें मुफ्त हवाई यात्रा, रेल यात्रा, सरकारी गाड़ी और दूसरी सुविधाएं भी मिलेंगी और सबसे बड़ी बात ये है कि संसद की मुख्य समितियों में राहुल गांधी बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में शामिल होंगे और उनके पास ये अधिकार होगा कि वो सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा करते रहेंगे।

पीएम को भी नेता प्रतिपक्ष से कई मामलों में सहमति लेनी होगी

अब राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बन रहे हैं तो वह उस कमिटी का हिस्सा बन जाएंगे, जो सीबीआई के डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, मुख्य सूचना आयुक्त, ‘लोकपाल’ या लोकायुक्त, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन और सदस्य और भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ती करती है। इन सारी नियुक्तियों में राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां प्रधानमंत्री मोदी बैठेंगे और पहली बार ऐसा होगा, जब इन फैसलों में पीएम मोदी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी उनकी सहमति लेनी होगी।

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