विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले- भारत और चीन में सीमा पर पेट्रोलिंग सिस्टम को लेकर समझौता हुआ
यह समझौता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हुआ है जिसमें पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भाग लेंगे
नई दिल्ली। भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) यानी एलएसी पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए एक नए समझौते पर पहुंचे हैं। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बयान जारी कर इसकी जानकारी दी। यह समझौता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हुआ है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भाग लेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि “भारत और चीन में सीमा पर पेट्रोलिंग सिस्टम को लेकर समझौता हुआ है। इससे मई, 2020 से पहले की स्थिति वापस आएगी।”
जानकारी के मुताबिक संघर्ष के इन दोनों बिंदुओं (देपसांग और डेमचोक) पर पेट्रोलिंग शुरू हो चुकी है और जल्द ही दोनों देश अपने सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर देंगे, जिसे मिलिट्री टर्म में डिसइंगेटमेंट कहते हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच पेट्रोलिंग की व्यवस्था को लेकर बनी सहमति से 2020 में पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न हुए तनाव का धीरे-धीरे समाधान हो रहा है।
यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम 22-23 अक्टूबर को होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा से ठीक पहले सामने आया है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता की संभावनाओं पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि “पिछले कई हफ्तों से भारत और चीन के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता हो रही है। चीन के साथ एलएसी के मुद्दों पर हमारा समझौता हुआ है। सैनिकों की वापसी स्थिति के समाधान के लिए पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गई है। द्विपक्षीय वार्ता के मुद्दे पर हम अब भी समय और व्यस्तताओं के अनुरूप काम कर रहे हैं।”
बता दें कि पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में वर्ष 2020 में 15-16 जून भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हार थी। इसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी और करीब दोगुनी संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे। हालांकि, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने सैनिकों के बारे में कभी आधिकारिक आंकड़े नहीं जारी किए। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
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