प्रेम और समर्पण का पर्व है ‘करवाचौथ’

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है पति-पत्नी के पवित्र और प्रेममय रिश्ते का प्रतीक करवाचौथ। अपने जीवनसाथी की लम्बी उम्र और जन्मों तक उनका साथ पाने की कामना के साथ स्त्रियां करवाचौथ के दिन निर्जला व्रत रखती है और चन्द्रदर्शन के बाद अपने पति के हाथों पानी पीकर व्रत को पूरा करती है। यह त्योहार स्त्रियों के समर्पण, त्याग और प्रेम को भी दर्शाता है।

व्रत पूरा न करने से नाराज हुई करवा माता

पौराणिक कथा के अनुसार- एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। जब तक वह भोजन नहीं करती थी तब तक वह भी खाना नहीं खाते थे। एक बार उनकी बहन सुसराल से मायके आई। सभी भाई जब अपने काम से लौटे तो उन्होंने बहन से पूछा की तुमने भोजन कर लिया। तब बहन ने कहा कि आज मेरा निर्जला व्रत है और चन्द्रमा के दर्शन के बाद ही मैं भोजन ग्रहण करूंगी। भाई को अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देखकर बहुत दुःख हुआ तो उन्होंने दूर एक पेड़ पर दिया जलाकर और उसके सामने छन्नी रख दी और बहन को कहा कि चंद्रोदय हो गया है। यह बात सुनकर बहन अपनी भाभियों के पास गई कि आप भी चंद्रदर्शन कर लो। तब एक भाभी ने कहा कि अभी चंद्र उदय नहीं हुआ है। तुम्हारे भाइयों से तुम्हारा भूख से व्याकुल चेहरा नहीं देखा जा रहा था इसलिए उन्होंने नकली चन्द्रमा बनाया है। बहन ने भाभी की बात न सुनकर भोजन ग्रहण कर लिया। व्रत टूट जाने से करवा माता उससे नाराज हो गई और उसके पति का स्वास्थ खराब हो गया। तब बहन को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने माता से क्षमा मांगकर अगले साल पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखा और चंद्र दर्शन करके उसे पूर्ण किया। तब माता ने प्रसन्न होकर उसे अखंड सौभाग्य का वर दिया और उसके पति को स्वस्थ कर दिया।

हर जन्म में मिले पति का साथ और प्रेम

करवाचौथ के दिन सभी महिलाएं ब्रह्मुहुर्त में उठकर स्न्नान करती है, सोलह श्रृंगार करती है और दिनभर व्रत रखने का संकल्प लेती है। शाम को चंद्रोदय के बाद चाँद कि पूजा करके और पति के हाथों जल ग्रहण कर वह अपना व्रत खोलती है और करवा माता से प्रार्थना करती है कि उनके जीवनसाथी का प्रेम और साथ सदा बना रहे और हर जन्म में वही उन्हें पति रूप में मिले।

कुंवारी कन्याओं को मिलता है मनचाहा वर

देश के कई हिस्सों में कुंवारी कन्याएं भी करवाचौथ का व्रत रखती है। माना जाता है कि इस व्रत से उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ती होती है। इस वर्ष का करवाचौथ काफी ख़ास है क्योंकि इस दिन तीन शुभ संयोग बन रहे हैं। आज बुधादित्य योग, गजकेसरी योग और रोहिणी में चन्द्रमा की उपस्थिति रहेगी जिससे व्रत का प्रभाव और अधिक बढ़ जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *