अखिल भारतीय समन्वय बैठक का सोमवार को समापन
संघ की बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी हुई बात
जातिगत प्रतिक्रिया एक संवेदनशील मुद्दा- संघ
संघ ने जातिगत जनगणता को लेकर बड़ा बयान दिया है। आरएसएस के अनुसार जातिगत जनगणना समाज की एकता और अखंडता के लिए खतरा हो सकती है। हर साल होने वाली संघ की बैठक में देश के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाती है। इस साल भी इस बैठक में संघ के सभी प्रमुख सदस्य शामिल हुए। उन्होंने यूसीसी, बांग्लादेश जैसे प्रमुख मुद्दों पर बात की।
संघ की बैठक में जातिगत जनगणना पर बात
केरल के पल्लकड़ शहर में आयोजित संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक का सोमवार को समापन हुआ। बैठक में समाज से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। समापन समारोह में आरएसएस ने महिला सुरक्षा और जातिगत जनगणना को संवेदनशील मुद्दा बताया। संघ ने समाज की एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिए जातीय जनगणना को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। महिला सुरक्षा के लिए नए कदम उठाने की भी बात कही गई।
कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुआ विचार विमर्श
बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि, बैठक में पश्चिम बंगाल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर चर्चा हुई। इस तरह की घटना पर अंकुश लगाने के लिए तेजी से सुनवाई हो, सरकारी तंत्र की सक्रियता आदि को तेज करने पर भी चर्चा हुई। संघ की बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी बात हुई। आंबेकर ने बताया कि यूसीसी मॉडल पहले से ही जनता के बीच है। उत्तराखंड में यूसीसी को अपनाने से पहले उन्होंने इसे सार्वजनिक डोमेन में रखा था इसलिए मुझे लगता है कि उन्हें 2 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए और उन्होंने इस पर चर्चा की। अब मुझे यह लगता है कि यह सार्वजनिक डोमेन में है और जनता को इसका अनुभव है। फिर हम इस पर चर्चा कर सकते हैं। आंबेकर ने आगे बताया कि बैठक के दौरान कई संगठनों ने बांग्लादेश के हालात पर विस्तृत रिपोर्ट भी पेश की है। बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों के बारे में हर कोई चिंता कर रहा है। हमने सरकार से वहां के हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत करने का अनुरोध भी किया है।
समरसता के लिए करेंगे काम- आरएसएस
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने बयान में कहा कि जातीय जनगणना संवेदनशील विषय है। इससे समाज की एकता और अखंडता को खतरा है। पंच परिवर्तन में इसको लेकर चर्चा की गई है। हम मास लेवल पर समरसता को लेकर काम करेंगे। हमारे समाज में जातिगत प्रतिक्रिया एक संवेदनशील मुद्दा है और राष्ट्रीयकरण के लिए महत्वपूर्ण है। जातिगत जनगणना का उपयोग चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए। कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए और विशेष रूप से दलित समुदाय की संख्या जानने के लिए सरकार उनकी जाति जनगणना कर सकती है।
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