जब तक किसी पीड़ित को न्याय मिलता है, तब तक तो उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो चुकी होती है- राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू

राष्ट्रपति मुर्मू भारत मंडपम में नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी के वैलेडिक्टरी आयोजन में शामिल हुई थीं

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि- लंबित मामले न्यायपालिका के समक्ष एक बड़ी चुनौती हैं

राष्ट्पति बोलीं- लंबित मामलों के निपटारे के लिए विशेष लोक अदालत सप्ताह जैसे कार्यक्रम अधिक बार आयोजित किए जाने चाहिए

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू नई दिल्ली के भारत मंडपम में नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी के वैलेडिक्टरी आयोजन में शामिल हुई। इस आयोजन में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और कानून एवं न्याय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। भारत मंडपम में आयोजित दो दिवसीय जिला न्यायापालिका राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट का नया ध्वज और प्रतीक चिन्ह जारी किया। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि रेप जैसे जघन्य अपराधों में अदालती फैसलों में देरी से आम आदमी को लगता है कि न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता का अभाव है। साथ ही, उन्होंने अदालतों में स्थगन की संस्कृति में बदलाव का आह्वान किया।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि जब रेप जैसे जघन्य अपराध में अदालती फैसले एक पीढ़ी बीत जाने के बाद आते हैं, तो आम आदमी को लगता है कि न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता का अभाव है। लंबित मामलों के निपटारे के लिए विशेष लोक अदालत सप्ताह जैसे कार्यक्रम अधिक बार आयोजित किए जाने चाहिए। सभी हितधारकों को इन समस्या को प्राथमिकता देकर इसका समाधान ढूंढना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि गांव के लोग तो न्यायपालिका को दैवीय मानते हैं, क्योंकि उन्हें वहीं न्याय मिलता है। एक कहावत भी है- भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। मगर, सवाल है कि आखिर कितनी देर? हमें इस बारे में सोचना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘जब तक किसी पीड़ित को न्याय मिलता है, तब तक तो उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो चुकी होती है। कई मामलों में उनकी जिंदगी तक खत्म हो जाती है। इसलिए ह अंगला इस बारे में गहराई से विचार करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देश के हर जज और न्यायिक अधिकारी की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे धर्म, सत्य और न्याय का सम्मान करें। जिला स्तर पर यह नैतिक जिम्मेदारी न्यायपालिका का प्रकाश स्तंभ है। जिला स्तर की अदालतें करोड़ों नागरिकों के मन में न्यायपालिका की छवि निर्धारित करती हैं। न्यायपालिका के समक्ष कई चुनौतियां हैं जिनके समाधान के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।

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