नीतीश ने बिहार के लिए मांगा विशेष राज्य का दर्जा
नीतीश ने दिया चार सांसद पर एक मंत्रालय का फार्मूला
नई दिल्ली। विपक्ष की तमाम कोशिशों के बाद देश में एक बार फिर मोदी सरकार बन चुकी है लेकिन मोदी का यह तीसरा कार्यकाल विभिन्न चुनौतियों से भरा होगा। 2014 और 2019 की तरह इस बार भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। इस वजह से उन्हें क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा। क्षेत्रीय दल भी एनडीए में अपनी अहमियत समझकर विभिन्न मांग कर रहे हैं।
नायडू और नीतीश ने अपनी मांगे रखी सामने
हाल ही में हुई एनडीए की कैबिनेट मीटिंग में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू भी शामिल हुए। अब खबरे सामने आ रही है की नीतीश ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग सामने रखी है। इसके साथ ही उन्होंने चार सांसद पर एक मंत्रालय का फार्मूला भी कैबिनेट के सामने रखा है। नीतीश अपने सभी 12 सांसदों के लिए मंत्रालय चाहते हैं। खबरों की माने तो नीतीश रेलवे, कृषि और वित्त मंत्रालय चाहते हैं। वही टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू ने भी अपनी कुछ मांगे सामने रखी है। उन्होंने लोकसभा स्पीकर की पोस्ट के साथ कई मंत्रालय की भी मांग की है।
सरकार बनाए रखने के लिए जरूरी है क्षेत्रीय दलों का साथ
गौरतलब है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्षेत्रीय दलों के सहयोग से सरकार बनाई है। चुनाव में भाजपा ने 242, जेडीयू ने 12 और टीडीपी ने 16 सीट पर जीत हासिल की है। कुल मिलाकर 292 सीट से एनडीए ने अपनी सरकार बनाई है। बहुमत हासिल न कर पाने का कारण इस बार भाजपा को प्रमुख फैसलों के लिए टीडीपी और जेडीयू पर निर्भर रहना होगा। माना जा रहा था कि नीतीश कुमार इंडिया एलायंस के साथ जा सकते हैं लेकिन उन्होंने बयान देकर साफ कर दिया है कि वह भाजपा के साथ ही रहेंगे।
अब जेडीयू की अहमियत एनडीए में बहुत ज्यादा हो गई है। यही वजह है कि अब दोनों ही पार्टियों की तरफ से प्रमुख मंत्रालयों की मांग की जा रही है। सूत्रों ने बताया है कि टीडीपी ने एनडीए के आगे छह बड़े मंत्रालयों की मांग रख दी है। टीडीपी लोकसभा स्पीकर का पद भी चाहती है।