आज के दिन को हर दिन मनाइए, पहले पौधा लगाइए फिर उसे पेड़ बनाइए
आज एक उत्सव का दिन है और वो उत्सव है ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ का। आज के दिन ही हमारे देश के साथ ही दुनियाभर के लोग विश्व पर्यावरण दिवस को मनाते हैं। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक और संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से हर साल पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। धरती पर लगातार बढ़ते जा रहे प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के चलते ही विश्व पर्यावरण दिवस की शुरूआत हुई थी।
बस पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बंद कर दें, बाकी सब ठीक ही होगा
हम पर्यावरण के अधीन रहते हैं, हम पर्यावरण से अन्न-जल लेते हैं, हम पर्यावरण से ही सांसे लेते हैं लेकिन उस पर्यावरण को सबसे ज़्यादा नुकसान भी हम ही पहुंचाते हैं। हमें लगता है कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमें ज़्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। बस हम इतना करें कि आज से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बंद कर दें। जो पेड़ जहां पर है, उसे वहीं रहने दें। नदियों की धाराओं को बदलने की कोशिश ना करें। पहाड़ को पहाड़ रहने दें। पर्यावरण अपनी रक्षा स्वयं कर लेगा और सिर्फ अपनी रक्षा ही नहीं बल्कि पर्यावरण पूरी दुनिया की रक्षा कर लेगा। इसीलिए आज के दिन को उत्सव की तरह मनाइए।
ऐसे हुई ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ की शुरुआत
संयुक्त राष्ट्र संघ की तरफ से सन् 1972 में पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण की गंभीर समस्या चिंता करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव रखी गई। विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन दुनिया में सबसे पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ था। इस आयोजन में 119 देशों ने भाग लिया था। स्वीडन में इस आयोजन में ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम को मनाने का संकल्प लिया गया। इसके बाद यहीं से प्रत्येक वर्ष 5 जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे मनाए जाने की शुरुआत हुई। वहीं, भारत में 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ।