लोकसभा चुनाव समाप्ति की ओर, अब इंतज़ार है 4 जून का…मप्र में एक तरफ भाजपा क्लीन स्वीप बता रही, वहीं कांग्रेस परिणाम अपने पक्ष में बता रही

बीजेपी और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा ठोक रहे हैं

इंदौर। लोकसभा चुनाव- 2024 के छह चरणों का चुनाव हो चुका है और अब सिर्फ एक चरण का चुनाव बाकी रह गया है। मतदाताओं ने लगभग तय कर दिया है कि देश में अगली सरकार किसकी बनने जा रही है। एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी का उत्साह 400 पार वाला बना हुआ है वहीं, विपक्ष भी हार मानने को तैयार नहीं है। बीजेपी और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा ठोक रहे हैं। हालांकि, जीत किसकी होगी, ये 4 जून को ही सामने आएगा। एक जून को सातवें चरण में होने वाले मतदान के लिए 30 मई को प्रचार-प्रसार खत्म हो जाएगा। इसके लिए सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

क्या कहते हैं राजनीति के जानकार

राजनीति के जानकारों द्वारा भी कई तरह की भविष्यवाणीयां की जा चुकी हैं। प्रशांत किशोर, जिन्हें की राजनीति का बादशाह भी माना जाता है। उन्होंने तो बीजेपी को पुनः जीता हुआ बता दिया है। वहीं, राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव भी एनडीए को जीता हुआ बता रहे हैं।

बीजेपी को इस बार भी 2019 के आसपास ही सीटें आएंगी- प्रशांत किशोर

भारत में चुनाव और सामाजिक राजनीतिक विषयों की समझ रखने वाले प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों एक चैनल को दिये इंटरव्यू में बताया था कि देश में अगली सरकार किसकी बनने जा रही है। प्रशांत किशोर ने यह भी बताया था कि देश में तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर सरकार बनाने जा रहे हैं। प्रशांत किशोर ने बताया कि भाजपा और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को बड़ी चतुराई से उलझाया। बीजेपी ने 370 सीटें और ‘इस बार 400 पार’ का नारा देकर गोल पोस्ट ही आगे खिसका दिया है, जो कांग्रेस समझ ही नहीं पाई, जबकि बहुमत का आंकड़ा 272 है। प्रशांत किशोर ने इस इंटरव्यू में बताया था कि दक्षिण भारत के राज्यों में बीजेपी की सीटें बढ़ने जा रही हैं। बीजेपी को इस बार भी 2019 के आसपास ही सीटें आएंगी।

मौजूदा चुनाव परिणाम एनडीए के पक्ष में ही आने वाले हैं- योगेंद्र यादव

चुनाव विश्लेषक और राजनीतिज्ञ योगेंद्र यादव ने हाल ही में लोकसभा चुनाव- 2024 को लेकर अपना एक आकलन सोशल मीडिया पर साझा किया। इस आकलन में उन्होंने बताया कि उनके हिसाब से बीजेपी और उनकी सहयोगी पार्टियों को कितनी सीटें मिलने जा रही हैं। योगेंद्र यादव के मुताबिक, मौजूदा चुनाव परिणाम एनडीए के पक्ष में ही आने वाले हैं। बीजेपी को 240-260 और एनडीए के साथी दलों को 35-45 सीटें मिल सकती हैं। यानी एनडीए को 275-305 सीटें मिलने जा रही हैं और पीएम मोदी एक बार फिर से देश की सत्ता संभालने जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश को भी 4 जून का इंतज़ार, नेता और कार्यकर्ताओं के अपने-अपने दावे

मध्य प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव के मतदान के बाद अब मतगणना का इंतजार है। नेता, कार्यकर्ताओं के द्वारा अपने-अपने अनुमान लगाए जा रहे हैं। काउंटिंग डे को लेकर चुनाव आयोग भी अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है। आयोग के मुताबिक प्रदेश में पहला चुनाव परिणाम भिंड लोकसभा सीट से आएगा। जबकि, सबसे अंत में खजुराहो सीट के नतीजे घोषित होंगे।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेताओं की साख दाव पर लगी हुई है। एक तरफ भाजपा क्लीन स्वीप के ख्वाब संजों रही है। वहीं, कांग्रेस परिणाम अपने पक्ष में बता रही है। भाजपा यह मान कर चल रही है कि 29 में से एक सीट भी कम आती है तो यह उनकी हार है। वहीं, कांग्रेस के कई नेता यह मानकर चल रहे हैं कि उन्हें 10 से 12 सीटें मिल सकती है। हालांकि, यह सब सिर्फ अनुमान और अपने-अपने दावे हैं। बाकी अंतिम परिणाम तो 4 जून को ही आने हैं।

दिग्गी राजा का क्या होगा?

राजगढ़ कभी दिग्गी राजा यानी दिग्विजय सिंह का गढ़ हुआ करता था। हालांकि कांग्रेसी अभी भी ऐसा मानते हैं लेकिन अब भाजपा के लोग ऐसा नहीं मानते। गौरतलब है कि राजगढ़ में पिछले 10 वर्ष से भाजपा का सांसद है। ऐसे में कांग्रेस ने इस सीट को दोबारा हासिल करने के लिए एक बार फिर दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था। दिग्विजय सिंह 33 साल बाद लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे। वहीं, भाजपा ने पिछले दो चुनावों से लगातार जीत रहे रोडमल नागर को ही तीसरी बार मौका दिया है। अब देखना है कि क्या दिग्गी राजा अपना अंतिम चुनाव (उनके कहे अनुसार) जीत पाएंगे या नहीं।

सिंधिया चाहते हैं कि उनकी बड़ी जीत हो

ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 से 2019 तक गुना सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के उम्मीदवार केपी यादव ने हरा दिया था। हालांकि केपी यादव एक वक्त में ज्योतिरादित्य सिंधिया के ही करीबी थे।मार्च, 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। नवंबर, 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही सिंधिया ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू कर दिया था और खुद को महाराजा वाली छवि से दूर रखते हुए वह एक भाजपा कार्यकर्ता की तरह ही लोगों के बीच गए थे। सिंधिया इस सीट से सिर्फ जीतना ही नहीं चाहते बल्कि बड़े मार्जिन से जीतना चाहते हैं।

 

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