सोयाबीन के दाम को लेकर मध्य प्रदेश के किसानों में आक्रोश, लगातार कर रहे हैं विरोध

किसान प्रदेश की हर पंचायत में 1 से 7 सितंबर तक सरपंच सचिव को ज्ञापन देंगे

किसान सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए करने की मांग कर रहे हैं

भोपाल। मध्य प्रदेश के किसान संगठनों ने सोयाबीन की फसल को लेकर केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। प्रदेश के किसान सोयाबीन की कीमतें बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। कई क्षेत्रों में रैलियां निकालकर विरोध जताया जा रहा है। किसान प्रदेश की हर पंचायत में 1 से 7 सितंबर तक सरपंच सचिव को ज्ञापन देंगे। किसान सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए करने की मांग कर रहे हैं। किसानों का दावा है कि राज्य में सोयाबीन की कीमतें दस साल के निचले स्तर पर आ गई हैं।

किसान संगठनों के गठबंधन संयुक्त किसान मोर्चा ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो मध्य प्रदेश ‘सोयाबीन राज्य’ का खिताब खो सकता है। कुछ किसान नेताओं ने दावा किया कि पिछले अगस्त में 4 हजार 450 से 4 हजार 725 रुपये प्रति क्विंटल से कीमतें गिरकर 3,500 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं।

केंद्र सरकार ने विपणन सत्र 2024-25 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पिछले सत्र के 4,600 रुपये प्रति क्विंटल से 292 रुपये बढ़ाकर 4,892 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। भारतीय किसान-नौजवान संघ के मध्य प्रदेश प्रभारी जसदेव सिंह ने कहा, किसानों को आज वही कीमत मिल रही है जो उन्हें 10 साल पहले मिल रही थी। पिछले एक दशक में खेती की लागत कई गुना बढ़ गई है।

राकेश टिकैत ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर सोयाबीन की खरीदी उचित मूल्य पर कराने की मांग की। टिकैत ने अपने पत्र में लिखा- देश का किसान रात-दिन अपने काम को करने के लिए प्रतिबद्ध रहता है। जब देश कोरोना की महामारी के दौर से गुजर रहा था तब इसी खेतिहर समाज ने जीडीपी को जीवित रखने में अपनी भूमिका निभाई थी। समय के बदलाव के साथ दिल्ली की सीमाओं पर देश के इसी वर्ग ने 13 महीने तक अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया, जिसे सरकार के आश्वासन पत्र पर स्थगित कर दिया गया, लेकिन आज तक उन्हें फसलों के वाजिब दाम पर खरीद की गारंटी, एमएसपी कानून नहीं मिला है।

 

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