वाहनों के कांच फोड़ने वाले 4 युवाओं के लिए इंदौर पुलिस की अनोखी सजा, 1 साल तक संभालेंगे यातायात की व्यवस्था

नशे की हालत में उत्पात मचाने वाले युवाओं को महंगी पड़ी बदमाशियां

इंदौर। शहर में युवाओं द्वारा नशे की हालत में उत्पात मचाने के साथ ही मौज मस्ती के लिए कई बार आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। साथ ही वह अपराधी के घटनाओं से जुड़ जाते हैं लेकिन समाज के प्रति उनकी क्या जिम्मेदारी है इसको सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई बार अधिकारी विभिन्न तरह के कदम उठाते हुए भी नजर आते हैं। इसी के तहत चार युवकों को वाहनों के कांच फोड़ने की एक अनोखी सजा सुनाई गई है, जिसमें उन्हें एक वर्ष तक सबसे व्यस्ततम चौराहा कहे जाने वाले लव कुश चौराहे की यातायात व्यवस्था संभालने का आदेश जारी किया है। निगरानी के लिए थाना प्रभारी के साथ ही बीट पुलिसकर्मियों को भी आदेश दिए गए हैं।

दरअसल पूरा मामला यह है कि बाणगंगा थाना क्षेत्र के वृंदावन कॉलोनी में पिछले दिनों चार वाहनों के कांच फोड़े गए थे। इसके बाद फरियादियों द्वारा थाने पर शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने प्रारंभिक रूप से 427 294 506 सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया था और फिर जांच पड़ताल कर धर्मेंद्र, निशिल, दीपांशु और जितेंद्र को पुलिस आयुक्त हंसराज सिंह ज़ोन 3 के न्यायालय में पेश किया गया। जहां पर उनके ऊपर दर्ज कैस की सुनवाई के दौरान उन्हें सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए लव कुश चौराहे पर यातायात संभालने के आदेश दिए गए हैं। जिसमें वह चारों युवक एक वर्ष तक प्रतिदिन शाम 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक प्रत्येक शनिवार को उपस्थित रहेंगे और यातायात संभालेंगे। इसी के साथ उन्हें हिदायत दी गई है कि वह किसी भी तरह का नशे का सेवन नहीं करेंगे। इन चारों युवकों की सजा को लेकर पुलिस आयुक्त ने आदेश दिया है कि थाना बाणगंगा प्रभारी के साथी बीट पर तैनात पुलिसकर्मी इन पर निगरानी भी रखेंगे।

बता दें कि इससे पहले भी कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस तरह की सजा युवाओं को सुना चुके हैं, जिसमें पूर्व पुलिस कमिश्नर द्वारा झगड़ा करने वाले युवकों को वाहन चलाने और बैठने की मनाही की गई थी, तो वहीं कुछ युवकों द्वारा निरंजनपुर में की गई गाड़ी में तोड़फोड़ के बाद उन्हें थाने पर हाजिरी देने के साथ ही थाने पर रोजाना दो घंटे तक सेवा देने के आदेश दिए गए थे। इस तरह की अनोखी सजा पाकर युवाओं में काफी बदलाव देखा गया था। युवाओं में केवल सामाजिक जिम्मेदारी का भाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से ही यह सजा सुनाई गई थी जो कि कारगर सिद्ध हुई है।

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