भोपाल एम्स में अब हार्ट और लंग्स का भी होगा ट्रांसप्लांट

मध्यभारत में एम्स पहला शासकीय अस्पताल, जहां यह जटिल सर्जरी की जाएगी

एम्स के निदेशक डॉ अजय सिंह ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी

भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में हार्ट और लंग्स ट्रांसप्लांट को हरी झंडी मिल गई है। इसके साथ प्रदेश ही नहीं बल्कि मध्यभारत में एम्स पहला शासकीय अस्पताल होगा, जहां यह जटिल सर्जरी की जाएगी। अब तक प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों में बोन मैरो, किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट की ही सुविधाएं थी। बता दें कि मरीजों को एम्स में ट्रांसप्लांट के लिए महज 8 लाख खर्च करने होंगे, जबकि निजी अस्पतालों में 30-50 लाख तक खर्च होते थे।

अब मध्य भारत के जरूरतमंद मरीजों का एम्स भोपाल में ही फेफड़े और हृदय प्रत्यारोपण ट्रांसप्लांट हो सकेगा। एम्स के निदेशक डॉ अजय सिंह ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी। मध्य प्रदेश के सरकारी व निजी अस्पतालों में वर्तमान में मुख्य रूप से बोन मैरो, किडनी व लिवर ट्रांसप्लांट ही हो रहे हैं। ब्रेनडेड मरीज के अंगदान के लिए परिवार की अनुमति के बाद फेफड़े और हृदय को दूसरे राज्यों के मरीजों को भेजना पड़ता था। कई बार दूरी ज्यादा होने पर यह अंग उपयोग नहीं होते थे।

एम्स भोपाल ई कंसलटेंसी की मदद से प्रदेश के 50 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से जुड़ा है

एम्स के निदेशक डॉ अजय सिंह ने बताया कि हम टीचिंग और ट्रेनिंग, पेशेंट केयर, प्रशासनिक पहल, आउटरीच और सामुदायिक कार्यक्रम तथा महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदमों के लिए लगातार काम करते रहेंगे। एम्स भोपाल ई कंसलटेंसी की मदद से प्रदेश के 50 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से जुड़ा है, जिसमें मरीज के इलाज के लिए एम्स और संबंधित सेंटर के डॉक्टर एक-दूसरे से बात कर सकते हैं। यही नहीं टेली आईसीयू के तहत सतना और विदीशा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों का एम्स के डॉक्टर इलाज मुहैया करा रहे हैं। एम्स भोपाल 200 वर्चुअल बेड का संचालन कर रहा है। अब उनसे जुड़ने के लिए उत्तरप्रदेश के अस्पताल भी तैयार हैं।

हर तरह से अपडेट होता जा रहा है भोपाल का एम्स अस्पताल

पिछले दो वर्ष में तीन नए विभाग मेडिकल जेनेटिक्स, रुमेटोलाजी और क्लिनिकल इम्यूनोलाजी व क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग स्थापित किए गए। अब चार नए सेंटर, हैप्पीनेस सेंटर, सेंटर ऑफ प्रिसिशन, सेंटर आफ एक्सीलेंस इन रेयर डिसीज, सेंटर ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथीज खोले गए हैं। इसके अलावा 13 नए पीजी से संबंधित सुपर स्पेशलिस्ट कोर्स और 34 नई फैलोशिप शुरू की गई। एम्स 50 अन्य ऐसे मेडिकल कॉलेज जहां शिक्षकों की कमी है, वहां विद्यार्थियों के लिए डिजिटल लेक्चर उपलब्ध करवा रहा है। यहां संचालित स्टुडेंट्स वेलनेस सेंटर में एक वर्ष में 714 विद्यार्थियों ने कंसल्ट किया।

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