28 करोड़ से शुरू हुआ घोटाला अब 100 करोड़ के पार पहुंच गया, अभी और भी कई बड़े राज खुल सकते हैं
भाजपा नेता गोपीकृष्ण नेमा ने इस घोटाले के 1000 करोड रुपए से ज्यादा बड़े होने की आशंका व्यक्त की है
जन प्रकाशन इंदौर। एक तरफ दिल्ली शराब घोटाला पूरे देश में चर्चा में हैं लेकिन इंदौर नगर निगम के घोटाले की चर्चा सीमित है। जबकि कहा तो यह भी जा रहा है कि इंदौर नगर निगम का घोटाला 1 हजार करोड़ से भी ज्यादा का हो सकता है? कहीं ऐसा तो नहीं कि घोटाले की चर्चा भी सरकारों के हिसाब से होती हो? ऐसे कई सवाल आम नागरिकों के मन में हैं लेकिन उनके जवाब अभी तक नहीं मिल पा रहे हैं। फिलहाल यह जान लेते हैं कि इंदौर नगर निगम का घोटाला अब कितना आगे तक निकल गया है।
इंदौर नगर निगम में फर्जी फाइलों और बिलों के जरिए हुए घोटाले का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, घोटाले खुलते जा रहे हैं। जांच के दौरान पता चला कि फर्मों ने करीब 107 करोड रुपए के फर्जी बिल प्रस्तुत किए थे और इसके उन्हें 81 करोड़ रूपए से ज्यादा का भुगतान हो भी चुका है। हालांकि यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। सूत्रों से यह भी पता चला था कि मध्यप्रदेश के इंदौर सहित 12 नगर निगम में करीब 1800 करोड़ के फर्जी बिल लगाकर घोटालों को अंजाम दिया गया।
गोपीकृष्ण नेमा ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने इस घोटाले के 1000 करोड रुपए से ज्यादा बड़े होने की आशंका व्यक्त की है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे चार पेज के पत्र में नेमा ने कहा है कि अपने अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि यह घोटाला जितना सीधा दिख रहा है, उतना है नहीं। पुराने हिसाब की जांच की जाए तो यह 1000 करोड रुपए से ज्यादा बड़ा निकलेगा और इसमें कई पुराने अधिकारी भी जांच के दायरे में आएंगे। गोपी कृष्णा नेमा ने मुख्यमंत्री से इस मामले की बारीकी से जांच की मांग की है।
16 अप्रैल को सामने आया यह घोटाला
यह घोटाला उस वक्त चर्चा में आया जब 16 अप्रैल को नगर निगम के ड्रेनेज विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुनील गुप्ता की रिपोर्ट पर एमजी रोड पुलिस ने 5 फर्म और उनके संचालकों पर एफआईआर दर्ज की थी। आरंभिक रूप में यह जानकारी सामने आई थी कि इन फर्मों ने लेखा विभाग में ड्रेनेज काम के 20 फर्जी बिल प्रस्तुत किए हैं और ये फर्म 28 करोड रुपए का भुगतान प्राप्त करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन जांच के दौरान पता चला कि निगम से इन फर्मों को फर्जी बिलों का 3 करोड़ 20 लाख रुपए का भुगतान भी हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने बनाई हाई लेवल कमेटी
इंदौर नगर निगम में हुए घोटाले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी बनाई गई है, जो की 15 साल में हुए भुगतान की जांच करेगी। मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर बनी इस कमेटी में वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव अमित राठौर, वित्त सचिव अजीत कुमार और लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर को शामिल किया गया है। इन तीनों अधिकारियों ने नगर निगम के अफसरों से मुलाकात की है। कमेटी ने 15 साल में हुए सारे ठेकेदारों के भुगतान का रिकॉर्ड बैंक से मांगा है और नगर निगम से जारी हुए टेंडरों का ब्यौरा मांगा है।
चार अधिकारियों को किया सस्पेंड
इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ों की फर्जी बिल घोटाले में राज्य शासन ने हाल ही में चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। यह चारों अधिकारी निगम में लोकल ऑडिट फंड विभाग में पदस्थ थे। इनका मुख्य काम बारीकी से ऑडिट करना था लेकिन यह खुद ही इसमें लिप्त पाए गए। मामले में पिछले दिनों निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने शासन को पत्र लिखकर उनकी भूमिका से अवगत कराया था। साथ ही इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। घोटाले में अभी और भी अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्रवाई के संकेत है।