नई दिल्ली। कल यानी 13 जनवरी 2025 को डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट देखी जा रही है। करेंसी मार्केट में 63 पैसे की कमजोरी के साथ पहली बार रुपया 86 के लेवल को तोड़ते हुए 86.61 रुपये के निचले स्तर तक जा लुढ़का है। जानकारी के अनुसार, रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा। निर्मल बंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि एक डॉलर के मुकाबले रुपये का औसत रेट वित्त वर्ष 2025-26 में 88 के लेवल तक सकता है। यानी मौजूदा लेवल से रु 1.50 रुपये तक और भी कमजोर हो सकता है।
निर्मल बंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने डॉलर को और मजबूत बनाने का दावा किया है। शुरुआत मजबूती के बाद डॉलर आने वाले दिनों में स्थिर हो जाएगा जिससे भारत जैसे इमर्जिंग देशों की करेंसी को सपोर्ट मिलेगा। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त रुपये का औसत मुल्य 88 के करीब रह सकता है। यानी मौजूदा लेवल से डॉलर के मुकाबले रुपये में अभी और कमजोरी आ सकती है।
रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 86.31 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी।