पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह की बनाई हुई नीतिया ग्राउंड पर कारगर साबित हुई है
मनमोहन सिंह ही 2005 में मनरेगा लेकर आए, जो एक बड़ी सार्थक योजना साबित हुई
डॉ सिंह के कार्यकाल में 2007 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर नौ प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंची थी
नई दिल्ली। भारत में आर्थिक सुधारों का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को जाता है। उन्होंने अपनी कारगर नीतियों से देश की स्थिति बदल दी थी। चाहे हम 2004 से 2014 के उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल की बात करें या फिर इससे पूर्व जब वे देश के वित्त मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे तब की बात करें। डॉ सिंह ने आर्थिक सुधारों के लिए काम किया है उसकी चर्चा देश और दुनिया में आज भी होती है। असल मायनों में उनकी बनाई हुई नीतिया ग्राउंड पर कारगर साबित हुई थी।
वर्ष 1991 में जब डॉ मनमोहन सिंह ने पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्रालय की बागडोर संभाली थी, तब भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 8.5 प्रतिशत के करीब था, भुगतान संतुलन घाटा बहुत बड़ा था और चालू खाता घाटा भी जीडीपी के 3.5 प्रतिशत के आसपास था। इसके अलावा देश के पास जरूरी आयात के भुगतान के लिए भी केवल दो सप्ताह लायक विदेशी मुद्रा ही मौजूद थी। इससे साफ पता चलता है कि अर्थव्यवस्था बहुत गहरे संकट में थी। ऐसी परिस्थिति में डॉ सिंह ने केंद्रीय बजट 1991-92 के माध्यम से देश में नए आर्थिक युग की शुरुआत कर दी। वित्त मंत्री रहते हुए डॉ मनमोहन सिंह ने 1991 में आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीति लागू की। औद्योगिक लाइसेंस राज खत्म हुआ, विदेशी निवेश के दरवाजे खुले और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया गया।
आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति की शुरुआत में डॉ मनमोहन सिंह की भूमिका को दुनिया भर में स्वीकार किया जाता है। उनकी नीतियों ने ही भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण की दिशा में ले जाने का काम किया। वह 1996 तक वित्त मंत्री के तौर पर आर्थिक सुधारों को अमलीजामा पहनाते रहे। मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री बने तो 10 वर्षों तक उन्होंने देश की आर्थिक नीतियों और सुधारों को मार्गदर्शन देने का काम किया। उनके कार्यकाल में ही 2007 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर नौ प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंची और दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया।
मनमोहन सिंह 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) लेकर आए और बिक्री कर की जगह मूल्य वर्धित कर (वैट) लागू हुआ। इसके अलावा उन्होंने देश भर में 76,000 करोड़ रुपये की कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना लागू कर करोड़ों किसानों को लाभ पहुंचाने का काम किया। उन्होंने वित्तीय समावेशन को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया और प्रधानमंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान देश भर में बैंक शाखाएं खोली गई। भोजन का अधिकार और बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम जैसे अन्य सुधार भी उनके कार्यकाल में हुए।