सांवेर के प्रसिद्ध उल्टे हनुमानजी, आस्था, चमत्कार और रहस्य का अद्वितीय संगम, देशभर से भक्त आते हैं दर्शन को

इंदौर के करीब स्थित यह स्थल अब भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है

 हनुमान जयंती, मंगलवार और अन्य विशेष अवसरों पर मंदिर में होते हैं विशेष आयोजन

भारत में हनुमानजी के अनगिनत मंदिर हैं, जिनमें से हर एक की अपनी विशिष्टता और श्रद्धा है, लेकिन मध्य प्रदेश के सांवेर में स्थित उल्टे हनुमानजी का मंदिर अपने अद्भुत स्वरूप और गहरे धार्मिक महत्व के कारण एक खास स्थान रखता है। यहां हनुमानजी की प्रतिमा सिर के बल विराजित है, जो न केवल एक चमत्कारी दृश्य है, बल्कि एक गहरी पौराणिक कथा और ऐतिहासिक संदर्भ को भी समेटे हुए है। यह मंदिर, अपनी असामान्य प्रतिमा और धार्मिक महत्व के चलते न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि समूचे भारत में श्रद्धालुओं का आस्था केंद्र बन चुका है। सांवेर का यह मंदिर एक अद्भुत संगम है। यहां आस्था, विश्वास और रहस्य का मिलाजुला रूप दिखाई देता है। उल्टी अवस्था में स्थापित हनुमानजी की यह प्रतिमा भक्तों को न केवल आश्चर्यचकित करती है, बल्कि उनकी भक्ति और समर्पण की गहरी भावना को भी प्रकट करती है। इस मंदिर का इतिहास, उसकी पौराणिक कथाएं और यहां की अद्वितीय मान्यताएं इसे एक अनूठा स्थल बनाती हैं, जहां आने वाला हर श्रद्धालु आस्था और चमत्कार का अनुभव करता है।

मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा

सांवेर के इस अद्भुत मंदिर के पीछे एक रोचक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। यह स्थान त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है, जब भगवान राम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था। कथानुसार, अहिरावण नामक एक राक्षस ने श्रीराम और लक्ष्मण को अपनी मायावी शक्ति से मूर्छित कर पाताललोक में बंद कर दिया था। हनुमानजी ने अपनी अद्भुत शक्ति का उपयोग करते हुए पाताललोक में प्रवेश किया और अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण को सुरक्षित रूप से वापस लाए। माना जाता है कि यह वही पवित्र स्थल है, जहां से हनुमानजी ने पाताललोक में प्रवेश किया था और उसी स्मृति में यहां उनकी उल्टी मुद्रा में प्रतिमा स्थापित की गई। यह प्रतिमा न केवल इस घटना की याद दिलाती है, बल्कि यह हनुमानजी की अडिग भक्ति और वीरता का प्रतीक भी मानी जाती है।

एसडीएम कौशल बंसल द्वारा मंदिर का कायाकल्प

सांवेर का यह मंदिर, जो कई सालों तक एकांत में स्थित था और केवल पुजारी द्वारा पूजा जाता था, अब एक प्रमुख आस्था स्थल बन चुका है। यह बदलाव लगभग दो दशक पहले हुआ, जब कौशल बंसल नामक अधिकारी सांवेर के एसडीएम (Sub-Divisional Magistrate) नियुक्त हुए। उन्होंने मंदिर का दौरा किया और हनुमानजी की उलटी प्रतिमा को देखा, जिसे उन्होंने अद्वितीय माना। एसडीएम बंसल ने मंदिर के प्रचार-प्रसार की शुरुआत की और मंदिर का कायाकल्प शुरू किया। उन्होंने मंदिर को भव्य रूप से सजाया और सुविधाओं का विस्तार किया, जिससे यह श्रद्धालुओं के लिए अधिक सुलभ हो गया। उनके प्रयासों के कारण, इस मंदिर का महत्व बढ़ा और यह अब हजारों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बन चुका है।

श्रद्धालुओं का आस्था केंद्र

अब यह मंदिर सिर्फ सांवेर या इंदौर-उज्जैन क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर से लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से प्रार्थना करने से हर कष्ट दूर होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मंदिर में हर मंगलवार और हनुमान जयंती के अवसर पर विशेष रूप से भारी भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को लेकर यहां आते हैं और हनुमानजी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस मंदिर में भगवान राम दरबार और शिव-पार्वती की भी प्रतिमाएं हैं, जिनके दर्शन के लिए भक्त अक्सर आते हैं। यह मंदिर मध्य प्रदेश के इंदौर-उज्जैन फोरलेन के बीच स्थित है। इंदौर से मात्र 30 किलोमीटर और उज्जैन से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थल अब भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है। यहां आने के लिए भक्तों को किसी विशेष यात्रा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह स्थान सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है।

विशेष अवसरों पर मंदिर का महत्व

मंदिर के पुजारी नवीन व्यास के अनुसार मान्यता है कि जब त्रेतायुग में अहिरावण राम और लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले गया था, तब हनुमानजी ने यहीं से पाताल यात्रा की थी। ऐसा कहा जाता है, कि उसी समय की यह प्रतिमा है, जो हनुमानजी की वीरता और भक्ति की अनोखी छवि प्रस्तुत करती है। यह स्थान न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि अध्यात्मिक ऊर्जा से भी ओतप्रोत माना जाता है। मंदिर के मुख्य पुजारी नवीन व्यास बताते हैं, कि यदि कोई भक्त लगातार पांच मंगलवार यहां नारियल चढ़ाकर पूजा करता है, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। शत्रु नाश, न्याय प्राप्ति और संकटों से मुक्ति के लिए विशेष पूजा अर्चना की जाती है। सरसों के तेल का दीपक शत्रु बाधाओं को दूर करता है, जबकि घी का दीपक सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यहां भक्त उल्टा स्वास्तिक बनाकर भी मन्नतें मांगते हैं। शनिवार को हनुमान जयंती के अवसर पर मंदिर में भव्य धार्मिक आयोजन होंगे। प्रातः आरती से लेकर संध्या तक पूजा-पाठ, भजन और विशेष प्रसाद वितरण होगा। इसे विजय दिवस के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें देशभर से हज़ारों श्रद्धालु हिस्सा लेंगे। यह मंदिर न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि हनुमानजी की अनूठी लीलाओं की स्मृति भी जगाता है।

हनुमान जयंती, मंगलवार और अन्य विशेष अवसरों पर मंदिर में विशेष पूजा और आयोजन होते हैं। श्रद्धालु इन दिनों में विशेष रूप से अधिक संख्या में पहुंचते हैं। इस समय मंदिर में विशेष आयोजन और भव्य पूजा अर्चना की जाती है, जिसमें हनुमान जी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

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