इंदौर। इंदौर शहर में आए दिन डॉग बाइट के मामले बढ़ रहे है। शहर के कई क्षेत्रों से कुत्तों के द्वारा बच्चों और बुजुर्गों को काटने की ख़बर आई है। कुछ दिनों पहले एक आठ साल की बच्ची को कुत्तों ने नोच दिया था। वहीं, रंगपंचमी पर पंचकुइया स्थित राम मंदिर परिसर में आवारा कुत्तों ने दो साल की मासूम सहित सात लोगों को काट लिया था। इस घटना के बाद से प्रशासन लगातार बढ़ रही कुत्तों की संख्या पर लगाम लगाने की तैयारी में है। इसे देखते हुए अब प्रशासन कुत्तों की नसबंदी का अभियान चलाएगा।
जानकारी के अनुसार, इंदौर प्रशासन अब पशु पालन विभाग के स्टॉफ को भी कुत्तों की नसबंदी के काम में लगाएगा। 25 मार्च को इसे लेकर कलेक्टोरेट में नगर निगम, पशु पालन विभाग, एनजीओ की मीटिंग रखी गई है। इसमें कलेक्टर आशीष सिंह छह महीने चलने वाले अभियान के प्लान पर चर्चा करेंगे। इसमें दोनों विभागों के साथ जनभागीदारी से कैसे इन पर नियंत्रण हो, इस पर प्रभावी कार्ययोजना बनाई जाएगी। बैठक का मुख्य उद्देश्य आवारा कुत्तों की संख्या और डॉग बाइट की घटनाओं पर नियंत्रण करना है।
बता दें कि इंदौर में डॉग की संख्या 30 हजार से ज्यादा हो चुकी है। हर दिन 40 से 50 डॉग बाइट के मामले सामने आ रहे है। गर्मी में लोग सुबह और शाम के समय सैर करने जाते है। उस दौरान कुत्तों के काटने का लोग शिकार हो रहे है।
बच्चों को श्वान सबसे ज्यादा अपना शिकार बनाते है। दस साल पहले भी श्वानों की संख्या पचास हजार से ज्यादा हो गई थी। तब डॉग बाइट के मामले में नगर निगम के सम्मेलन में उठे थे। तब निगम ने युद्ध स्तर पर श्वानों की नसबंदी का अभियान चलाया था। अब यह काम प्रशासन हाथ में ले रहा है।
डॉग बाइट को लेकर हाल ही में हाई कोर्ट ने एक याचिका पर आदेश भी दिए थे। इसमें याचिकाकर्ता वंदना जैन ने नगर निगम की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि समस्या के समाधान के लिए ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। वहीं, एडवोकेट महेश गर्ग ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की थी। नगर निगम अधिकारियों ने कोर्ट में बताया कि अब तक बड़ी संख्या में कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है, लेकिन समस्या बनी हुई है। इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों के अनुसार नसबंदी और टीकाकरण की प्रक्रिया तेज की जाए। राज्य पशु कल्याण बोर्ड को इसकी निगरानी करने और नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे।