पिछले 10 सालों में बैंक ने किए 16.35 लाख करोड़ का कर्ज राइट ऑफ, अब इस तरह से होगी पैसों की वसूली

नई दिल्ली। हाल ही में संसद में बैंकों से सम्बंधित बड़ा खुलासा हुआ। सरकार ने संसद में जानकारी दी कि भारतीय बैंको ने 16.35 लाख करोड़ रुपए के गैर निष्पादित परीसंपत्तियों (NPA) या डूबे हुए कर्ज को राइट ऑफ यानी माफ किया है। सबसे ज्यादा राइट ऑफ 2018-19 में किया गया। इस साल 2 लाख 36 हज़ार 265 करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया है।

राइट ऑफ का मतलब राहत नहीं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश अनुसार चार साल पूरे होने के बाद और पूर्ण प्रावधान किए जाने के बाद बैंकों द्वारा डूबे हुए कर्ज को राइट ऑफ किया गया। वित्त मंत्री ने समझाया कि लोन राइट ऑफ करना कर्ज माफ़ करना नहीं है। बैंक की ओर से वसूली जारी रहेगी। इसके लिए बैंक विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। जैसे- सिविल कोर्ट और डेट्स रिकवरी ट्रिब्यूनल में मुकदमा दायर करना, SARFAESI एक्ट के तहत कार्रवाई और इंसोल्वेन्सी एंड बैंक रप्सी कोड के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में मामला दर्ज किया जाता है।

जारी रहेगी वसूली

RBI के आंकड़ों के अनुसार 31 दिसंबर 2024 तक एक हज़ार करोड़ रुपए या उससे ज्यादा का बकाया रखने वाली 29 कंपनियों को NPA घोषित किया गया था। इन कंपनियों पर कुल 61,027 करोड़ रुपए का बकाया है। सरकार ने कहा है कि बैंक द्वारा किए गए राइट ऑफ से कर्जदारों को राहत नहीं मिली है उनसे वसूली की जाएगी।

2014 में हुए सबसे कम राइट ऑफ

2018-19 में बैंकों ने सबसे ज्यादा 2,36, 265 करोड़ रुपए का कर्ज राइट ऑफ किया है। वही 2014-15 में सबसे कम 58,786 करोड़ रुपए का कर्ज बट्टे खाते में डाला गया। 2023-24 में बैंकों ने 1,70,270 करोड़ का ऋण राइट ऑफ किया।

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