सरकार ने कहा- सभी ओटोटी प्लेटफॉर्म खुद की रेगुलेटरी बॉडी बनाएं। साथ ही वो बॉडी कोड ऑफ एथिक्स का पालन करें
यह एडवाइजरी युट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया से जुड़ी कॉन्ट्रोवर्सी के बाद सामने आई है
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस बात को प्रमुखता से उठाया है कि सोशल मीडिया पर आने वाले बेहूदा कंटेंट पर लगाम लगनी चाहिए। इसके बाद भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट पब्लिशर्स (ओटीटी प्लेटफॉर्म्स) और ओटीटी प्लेटफार्मों के स्व-नियामक निकायों को एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी से एक बात तो साफ है कि अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दिखाई जाने वाली सामग्री पर सरकार की पैनी निगाह रहेगी। एडवायजरी में उन्हें सामग्री वर्गीकरण और अश्लील व भद्दे कंटेंट पर प्रतिबंध से संबंधित नियमों का पालन करने की याद दिलाई गई है ताकि भारत के कानूनों और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में निर्धारित आचार संहिता का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा सके।
भारत सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा कि ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट (ओटीटी प्लेटफॉर्म) और सोशल मीडिया के कुछ पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित अश्लील, पोर्नोग्राफ़िक और अश्लील सामग्री के कथित प्रसार के संबंध में सांसदों, वैधानिक संगठनों और आम लोगों से शिकायतें प्राप्त हुई हैं। आचार संहिता के तहत ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को कानून द्वारा निषिद्ध किसी भी कंटेंट का प्रसारण ना करें और नियमों की अनुसूची में दिए गए सामान्य दिशानिर्देशों के आधार पर आयु-आधारित वर्गीकरण करें। ‘ए’ रेटेड कंटेंट तक बच्चों की पहुंच रोकने के लिए एक्सेस कंट्रोल मैकेनिज्म को लागू करना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें उचित सतर्कता और विवेक का पालन करना चाहिए।
बता दें कि सोमवार को रणवीर अलाहबादिया की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि आप कुछ करिए, वरना हम करेंगे। बेंच ने कोर्ट में मौजूद अटॉर्नी सॉलिसिटर जनरल से कहा था- ‘ऐसे यू-ट्यूबर्स के मामले सामने आ रहे हैं, क्या केंद्र सरकार कुछ करना चाहती है। अगर वे खुद ही कुछ करते हैं तो बहुत अच्छी बात है, वरना हम यहां गैप नहीं छोड़ सकते। सो-कॉल्ड यूट्यूब चैनल इसका दुरुपयोग कर रहे हैं और तमाम चीजें सामने आ रही हैं, इसलिए हमने नोटिस इश्यू किया है।