भारत में पुरुष आयोग घोषित होना चाहिए

जिसकी पहल और पुरुष हित में आवाज बुलंद पारस जैन अधिवक्ता द्वारा की जा रही है।

भारत में महिलाओं की सुरक्षा और उनको सशक्त बनाने की दृष्टि से भारत सरकार ने महिला प्रधान कानून बनाया और भारत की महिलाओं के प्रति यह सहारणीय कदम है किंतु वर्तमान परिस्थित में कई महिलाओं द्वारा पुरुषों पर महिला प्रधान कानून का भरपूर दुरुपयोग बदले व प्रताड़ित करने की भावना से किया जा रहा है । किसी भी महिला का पति से या बॉय फ्रेंड या लीव इन रिलेशन मे रहते हुए जरा सी अनबन हो जाती है या उनके परिवार से अनबन हो जाती है तो दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा, शादी का झांसा देकर बलात्कार जैसे कई अपराधों में व कानूनी धाराओं में केस दर्ज कर समझौते के नाम पर मोटी रकम की डिमांड की जाती है। यही पुरुषों के साथ प्यार में धोखा, पत्नी के परिवार के द्वारा प्रताड़ना, पत्नी के द्वारा हाइ प्रोफाइल डिमांड करना जैसे अत्याचारों के लिए कानून में कोई सुनवाई नहीं होती है। जिससे आज कई पुरुष आत्महत्या करने को मजबूर है। पुरुष के अंदर भी दिल, रहम, और उनकी भी इज्जत होती है। पुरुष भी एक हद तक दर्द सहन करने की हिम्मत कर सकता है ऐसे कई उदाहरण अतुल, नितिन जो प्रताड़ना से परेशान होके आत्महत्या कर चुके है। भारत सरकार को पुरुष आयोग घोषित करना चाहिए उनकी भी सुनवाई होनी चाहिए उन्हें भी न्याय पाने का हक है। यह केवल समान कानून अधिकार के अंतर्गत पुरुषों के हित में आवाज ना की महिलाओं के अहित में इसलिए यह आवाज मैने उठाना चालू करदी है वीडियो और समाचार के माध्यमों से आगे भारत में पुरुष आयोग घोषित होने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। (लेखकके अपने विचार है)

पारस जैन (अधिवक्ता)

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