सिंहस्थ आम श्रद्धालुओं का होता है ना कि बड़े-बड़े अखाड़ों और पेशवाई का, अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने लिखा सीएम को पत्र

पुजारी महासंघ की सीएम डॉ मोहन यादव से मांग- सभी वीआईपी, वीवीआईपी को मेला क्षेत्र में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए

उज्जैन। प्रयागराज में महाकुंभ आयोजित हो रहा है। इस महाकुंभ में देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के श्रद्धालु शिरकत कर रहे हैं। हाल ही में महाकुंभ में मची भगदड़ से कई लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए हैं। जिसे लेकर अखिल भारतीय पुजारी महासंघ चिंतित हुआ है। 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ आयोजित होने जा रहा है। वहां ऐसा हादसा न हो, इसलिए पुजारी संघ ने मध्य प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव को पत्र लिखा है। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित महेश पुजारी एवं प्रदेश सचिव पंडित रूपेश मेहता है।

पत्र में लिखा गया कि- उज्जैन में 2028 में सिंहस्थ का महाआयोजन किया जाएगा, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पुण्य सलिला मां क्षिप्रा में स्नान करने आएंगे। अनुमान यह लगाया जा रहा है कि लगभग 30 से 40 करोड लोग सिंहस्थ में आ सकते हैं। सिंहस्थ आम श्रद्धालुओं का होता है ना कि बड़े-बड़े अखाड़ों और पेशवाई का। इसी को देखते हुए अखिल भारतीय पुजारी महासंघ आपकी ओर अपने कुछ सुझाव श्रद्धालुओं के हित में भेज रहा है। आशा है आप इन सुझावों पर अमल कर इन्हें अवश्य क्रियान्वित करेंगे।

पुजारी संघ ने लिखा कि अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में भगदड़ जैसी दुर्घटना हुई जिसमें कई लोग घायल हो गए और कई लोगों की मृत्यु हो गई। इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन मुख्य कारण यह प्रतीत होता है कि अखाड़ों की पेशवाई और स्नान के लिए भीड़ को रोका गया था। संभवतः इसके कारण लाखों की भीड़ के दबाव और स्नान करने की जल्दी में यह हादसा हुआ होगा। ऐसी कोई दुर्घटना या हादसा सिंहस्थ 2028 में नहीं हो ऐसी कार्य योजना बनाई जाना चाहिए। पुजारी महासंघ ने सुझाव दिया कि स्नान के समय अखाड़ों की पेशवाई को बंद किया जाना चाहिए और साधु-संतों को साधारण रूप से अपने अनुयायियों, यजमानों के बिना पैदल ही स्नान करने जाना चाहिए।

पुजारी महासंघ ने यह भी मांग की कि- रामघाट पर सर्व प्रथम केवल सनातन धर्म के सर्वोच्च चारों शंकराचार्यों को ही स्नान की अनुमति दी जाना चाहिए अन्य अखाड़ों को नहीं। सभी वीआईपी, वीवीआईपी को मेला क्षेत्र में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। जिससे आम श्रद्धालु अपनी भावना और आस्था के साथ सुरक्षित रूप से क्षिप्रा में पुण्य स्नान का लाभ ले सके। यदि सरकार उपरोक्त सुझावों को सिंहस्थ 2028 में लागू करती हैं तो निश्चित ही सिंहस्थ में किसी प्रकार की भगदड़ या अव्यवस्था नहीं होगी और विश्व पटल पर सरकार और उज्जैन का नाम रोशन होगा।

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