12 ट्रकों में 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर पहुंचा, स्थानीय रहवासियों में रोष
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री सावित्रि ठाकुर, विधायक नीना वर्मा, पूर्व मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव मुख्यमंत्री से करेंगे सीएम से मुलाकात
इंदौर। भोपाल गैस त्रासदी का जहरीला कचरा 40 साल बाद भोपाल से हटाया गया है। जहरीले कचरे से भोपाल को तो अब मुक्ति मिल गई है। लेकिन इंदौर पीथमपुर के लिए संकट बढ़ गया है। क्योंकि यह कचरा इंदौर से लगे हुए औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में जलाया जाएगा। गुरुवार की सुबह यह जहर पीथमपुर पहुंच गया है, जिसे लेकर स्थानीय रहवासियों में रोष है। गुरुवार को देखते ही देखते पीथमपुर छावनी बन गया।
आज गुरुवार को स्थानीय रहवासियों ने शहर में विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें सभी राजनीतिक दल के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। कचरा जलाने के विरोध में शुक्रवार को पीथमपुर बंद का आह्वान भी किया गया है।
जानकारी के अनुसार, वीवीआइपी सिक्योरिटी के बीच 12 ट्रकों में 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को बुधवार रात 9 बजे रवाना किया गया। ये कचरा गुरुवार सुबह करीब 4.20 मिनट पर इंदौर के पीथमपुर भेज दिया गया। सुरक्षा की दृष्टि से करीब 300 से ज्यादा जवान तैनात पीथमपुर में तैनात हैं। बता दें कि यहां 1200 डिग्री सेल्सियस पर फनेंस के साथ कचरा जलाया जाएगा। पहले 10 किलो कचरा नष्ट किया जाएगा और परीक्षण किया जाएगा।
कचरा जलाने को लेकर पीथमपुर में विरोध तेज होता जा रहा है। वहीं, शुक्रवार को पूर्व मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, सांसद और केंद्रीय मंत्री सावित्रि ठाकुर के साथ ही विधायक नीना वर्मा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मुलाकात करेंगे। वे सरकार द्वारा इस मामले में रिव्यू पिटीशन दायर करने की मांग करेंगे।
इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी पीथमपुर में कचरा जलाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। मंगलवार को इंदौर में महापौर भार्गव ने कहा था कि “जब सरकार खुद ही यूनियन कार्बाइड के इंडस्ट्रियल वेस्ट को जलाने संबंधी दुष्प्रभाव का एफिडेविट दे चुकी है, तो फिर कचरे को पीथमपुर में जलाने का फैसला उचित नहीं है, इस मामले में हम पीथमपुर की जनता के साथ खड़े हैं।”
महापौर ने यह भी कहा कि “पहले भोपाल गैस त्रासदी का कचरा गुजरात में जलने वाला था, लेकिन विरोध के बाद कैंसिल हुआ। इसके बाद जर्मनी में कहीं जलाने व भेजने की बात आई थी, इसका भी विरोध के बाद वहां ले जाना कैंसिल हो गया इस बार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पीथमपुर में कचरे को नष्ट किया जाना है, लेकिन वहां की जनता और पर्यावरण को देखते हुए पुनः विचार किया जाना चाहिए।”