आज के दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं और उनकी सुख-समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं
भाई बहन के पवित्र रिश्तों का जैसे एक बड़ा त्योहार रक्षाबंधन है वैसे ही दूसरा बड़ा त्योहार भाई दूज है। यह त्योहार भी भाई-बहन के प्यार और स्नेह का प्रतीक है। दिवाली के बाद भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
भाई दूज को देश के अलग-अगल हिस्सों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। भाई दूज को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज पर बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाकर आरती उतारती हैं और उनकी लंबी आयु, सुख-समृद्धि और जीवन में वैभव की व दीपावली करती हैं।
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं और उनके सुख-समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों के पैरों को छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उपहार देते हैं। मान्यता है कि जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है, उसे अनिश्चित मृत्यु का भय नहीं रहता। भाई दूज को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल यमराज के वर के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम पूजन करता है तो उसे मृत्यु के पश्चात यमलोक में नहीं जाना पड़ता।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, भाई और बहन के प्रेम व स्नेह का प्रतीक भाई दूज 3 नवंबर यानी रविवार को मनाया जा रहा है। द्वितीया तिथि की शुरुआत शनिवार रात 8 बजकर 22 मिनट पर हो रही है, जबकि रविवार की रात 11 बजकर 6 मिनट पर द्वितीया तिथि खत्म होगा।