केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विषय पर युवाओं को किया संबोधित
केंद्रीय मंत्री बोले- स्टूडेंट फॉर वन नेशन, वन इलेक्शन फोरम बनें, मोदी जी के एक राष्ट्र, एक चुनाव अभियान के पक्ष में खड़े रहें
शिवराज सिंह ने कहा- अगर देश में एक साथ चुनाव होंगे तो बाकी साढ़े चार साल सरकारें केवल विकास के काम में जुट सकती है
भोपाल। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को भोपाल स्थित ओरिएंटल इंस्टीट्यूट में छात्र-छात्राओं को वन नेशन, वन इलेक्शन विषय पर संबोधित किया। इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, हमारे देश में कुछ हो या ना हो पांच साल, 12 महीने चुनाव की तैयारियां जरूर चलती है। ये बार-बार होने वाले चुनाव देश की प्रगति और विकास में बाधा है। इसलिए संविधान में संशोधन कर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने चाहिए।
शिवराज सिंह ने युवाओं से संवाद करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं। उन्होंने कहा था कि, तुम अमृत के पुत्र, ईश्वर के अंश हो, अनंत शक्तियों के भंडार हो, अमर आनंद के भागी हो, दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो तुम ना कर सको। इसलिए मेरे बेटा-बेटियों, आप भी आगे आइए, एक राष्ट्र-एक चुनाव के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद कीजिए।
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं चाहता हूं कि, स्टूडेंट फॉर वन नेशन, वन इलेक्शन एक फोरम बनें, और इस फोरम को स्टूडेंट्स खुद बनाएं। एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक जन-अभियान बनें, एक आंदोलन बनें और इस अभियान की अगुवाई स्टूडेंट करें। सोशल मीडिया पर भी एक अभियान चले और इस देश से एक आवाज बुलंद हो कि, हम एक राष्ट्र, एक चुनाव के पक्ष में खड़े हैं, हम इस अभियान का समर्थन करते हैं। जनता के दबाव में हम विवश कर दें सभी राजनैतिक दलों को कि धन और समय की बर्बादी नहीं होने देंगे, विकास के काम ठप्प नहीं होने देंगे। देश की प्रगति और विकास में बार-बार होने वाले चुनाव को बाधा नहीं बनने देंगे। इसलिए देश में एक बार और एक साथ चुनाव होने चाहिए। अब समय आ गया है कि, देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि वर्ष 1967 में भी हमारे देश में एक साथ चुनाव होते थे। पहले बैलेट पेपर से चुनाव होते थे, फिर बैलेट पेपर पर मुहर लगाई जाती थी और अब ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराए जाते हैं। शिवराज सिंह ने कहा कि, तत्कालीन केंद्र सरकार ने राज्यों में दूसरे दलों की सरकार बनने पर अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर विधानसभाएं भंग करना शुरू कर दिया और तब से एक साथ चुनाव बंद हो गए। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग होने लगे। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि, देश के चुनाव आयोग ने 1983 में सबसे पहले कहा कि, देश में एक बार, एक साथ चुनाव होना चाहिए। फिर वर्ष 1999 में विधि आयोग ने भी यही कहा कि, देश में एक साथ चुनाव हो। देश के न्यायधीश, मुख्य न्यायधीश, पूर्व चुनाव आयुक्त और अनेक विचारशील लोगों ने इस बहस को आगे बढ़ाकर एक साथ चुनाव कराने पर जोर दिया था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे देश में हर छह माह में कहीं न कहीं चुनाव होते हैं। ये बार-बार होने वाले चुनाव में बड़ी मात्रा में धन खर्च होता है। सुरक्षा बल और अधिकारी-कर्मचारी भी चुनाव कराने एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाते हैं। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री और राज्य के मंत्रीगणों का भी समय खराब होता है। लॉन्ग टर्म प्लानिंग और विकास के सभी काम ठप्प हो जाते हैं। अगर देश में एक साथ चुनाव होंगे तो बाकी साढ़े चार साल सरकारें केवल विकास के काम में जुट सकती है। इसलिए संविधान में संशोधन कर देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए।